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________________ ( २२ ) सौराष्ट्र की बोली का - यद्यपि यहाँ मध्यदेश का काफी प्रभाव मालूम होता है-पुरोगामी है । दक्षिण मे परिस्थिति जरा अलग है । दक्षिण की भाषा आर्य भाषा से बिलकुल भिन्न होने वहाँ की भाषा का कोई प्रभाव अशोक की भाषा पर जम नही सकता । अधिकांश ये लेख पूर्व की राजभाषा मे ही लिखे गए है, जो कुछ भेद नजर मे आता है। वह पश्चिम का असर होने से मालूम होता है । इससे इनकी भाषा का सॉची, बैराट और रूपनाथ के लेख से कुछ साम्य मिलता है । अशोक के लेखो मे बोलो भेद का जो निदर्शन होता है उसको हम पूर्वनिदर्शित साहित्य के विभाजन के साथ मिला सकते है । वैदिक साहित्य, साहित्य का प्राकृत और अशोक के लेख, इन तीनो को मिलाकर हम बुद्ध और महावीर के समय की भाषा का खयाल थोडा बहुत स्पष्ट कर सकेगे । अशोक के उत्तरपश्चिम के लेखो के साथ भारत के बाहर मिले हुए प्राकृत साहित्य का भी संबध है । गोशृग की गुफा से फ्रेन्च यात्रोत्र्य द हॉ को खरोष्ठी लिपि मे जो धम्मपद मिला वह प्राकृत धम्मपद के नाम से प्रसिद्ध है । शायद यह उत्तरपश्चिम मे ही लिखा गया होगा ऐसा माना जाता है। उसका काल ई० की दूसरी सदी गिना जाता है । उत्तरपश्चिम की कुछ विशेषताएँ इस धम्मपद मे भी पाई जाती है, और वे अशोक के यहाँ के लेखों मे भी मिलती है । ईरानीय बोलियो की कुछ विशिष्टताएँ भी इनमे मौजूद है जो भौगोलिक दृष्टि से स्वाभाविक ही है । उसके बाद, सर ओरेल स्टाइन को चाइनी तुर्कस्तान से मिले हुए कुछ खतपत्र भी इसके साथ गिनने चाहिए | ये खतपत्र ई० के तीसरे शतक मे लिखे गए है । यह साहित्य खोटनकुस्तान- -की सरहद से, जगह का नाम है निय— प्राचीन नाम चडोत - खरोष्ठी लिपि मे लिखा हुआ मिलता है । इसको निय प्राकृत के नाम से भी जानते है । यह साहित्य राजव्यवहार के लिए लिखा गया है, और उसकी भाषा से मालूम होता है कि उसका उद्भव पेशावर के नजदीक ही हुआ होगा । इसकी भाषा का संबध, एक ओर से त्र्य दहा से और दुसरी ओर से वर्तमान दरद भाषा से, खास करके तोरवाली से, और अशोक के उत्तरकालीन खरोष्ठी लेखो से है । गिरनार के लेख की भाषा का सबध साहित्यिक पालि से है, उसका कारण यही हो सकता है कि साहित्यिक पाल का अधिक संबंध मध्यदेश की भाषा से है, और गिरनार के लेख की भाषा पर जो
SR No.010646
Book TitlePrakrit Bhasha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrabodh Bechardas Pandit
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1954
Total Pages62
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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