________________
द्वितीय अध्याय काव्यमीमांसा के विविध रोचक प्रसङ्ग
(क) आचार्य राजशेखर का काव्यपुरुष
(ख) काव्य एवम् साहित्य
(ग) रीति, वृत्ति एवम् प्रवृत्ति
(घ) काकु एवम् काव्यपाठ
(क) आचार्य राजशेखर का काव्यपुरुष :
सरस्वती पुत्र सारस्वत को आचार्य राजशेखर ने काव्यपुरुष के रूप में प्रस्तुत किया है। सरस्वती की कृपा से प्राप्त प्रतिभा के ही आधार पर कवि के काव्य का उद्भव होता है-इस आधार पर सरस्वती के ही पुत्र को काव्य कहने का औचित्य भी है। किन्तु इस विषय को एक रुचिकर आख्यान के रूप में प्रस्तुत किया गया है। बाणभट्ट के हर्षचरित में सरस्वती के सारस्वत नामक पुत्र की उत्पत्ति च्यवन ऋषि के पुत्र दधीचि द्वारा बताई गई है,1 तथा महाभारत के शान्तिपर्व में भी सारस्वत का उल्लेख है।2 आचार्य राजशेखर ने इस कथानक का अत्यल्प आधार ग्रहण करते हुए साक्षात् प्रजापति ब्रह्मदेव के द्वारा
1. 'दधीचस्यागमनं, सरस्वत्या सह वासः, तयोः पुत्रोत्पत्ति:--------------तस्मै तु जातमात्रायैव सम्यक् सरहस्याः
सर्वे वेदाः, सर्वाणि च शास्त्राणि, सकलाश्च कलाः सर्वाश्च विद्याः मत्प्रसादात् स्वयमेवाविर्भविष्यन्तीति' वरमदात्।
------------------------
यस्मिन्नेव वासरे सरस्वत्यसूत् तनयं तस्मिन्नेव दिवसे अक्षमालापि सुतं प्रसूतवती।--------एकस्तयो: सारस्वत्याख्य एवाभवत्।
(बाणभट्ट का हर्षचरित,प्रथम उच्छ्वास) 2. अथ भूयो जगत्सृष्टा भोः शब्देनानुनादयन्। सरस्वतीमुच्चचार तत्र सारस्वतोऽभवत्।
(अध्याय-359, महाभारत,शान्तिपर्व)