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कृष्णवेणा :- कृष्णा का वेणी के साथ संगम होने पर उसका नाम कृष्णवेणी हो जाता है। यह
सह्याद्रि के महाबलेश्वर शिखर के पास से निकलकर पूर्वाभिमुख मछलीपट्टन् के समीप समुद्र में गिरती
व रा :- यह गोदावरी की सहायक नदी है। इसका उद्गम सह्य पादपर्वत से होता है। तुङ्गभद्रा :- यह कृष्णा की सहायक नदी है। रायचूर के निकट कृष्णा में मिलती है।
ताम्रपर्णी :- मलयाचल के अगस्तिकुण्ड से निकलने वाली तिनैवेल्ली जिले की एक नदी।
उत्पलावती :- तिनैवेल्ली जिले में बहने वाली यह नदी ताम्रपर्णी में मिलती है।
रावणगङ्गा :- 'काव्यमीमांसा' में उल्लिखित दक्षिण देश की इस नदी का आधुनिक नाम ज्ञात
नहीं है।
पश्चिम देश
देवसभ (देवास) के आगे पश्चिमी देश है। 'काव्यमीमांसा' में पश्चिमी देश के जनपदों में
देवसभ, सुराष्ट्र, दशेरक, त्रवण, भृगुकच्छ, कच्छीय, आनर्त, अर्बुद, ब्राह्मणवाह, यवन आदि का नामोल्लेख है। गोवर्धन, गिरिनगर, देवसभ, माल्यशिखर, अर्बुद आदि पर्वतों तथा सरस्वती, श्वभ्रवती, वार्तघ्नी, मही, हिडिम्बा आदि नदियों का भी नामोल्लेख है। करीर, पीलु, गुग्गुलु, खजूर, करभ आदि यहाँ उत्पन्न होने वाली वस्तुएँ हैं।
पश्चिम देश के जनपद, पर्वत तथा नदियों के आधुनिक नाम :
देवसभ :- देवास या उदयपुर के धेवार झील का प्रदेश।
सराष्ट :- भारत के पश्चिमी भाग में स्थित काठियावाड़।
दशेरक:- दशेरक सिन्धु-मरु का भू-भाग है।
त्रवण :- पश्चिमी भारत का एक जनपद।