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________________ [277] हैं तो इसी पुराण में शिवपुरवर्णन के प्रसङ्ग में सात लोकों तथा उनके निवासियों का विस्तृत वर्णन प्राप्त होता है ।1 भविष्यपुराण में भी सात लोकों तथा सात पातालों का उल्लेख है। महलोंक, जनोलोक तथा ब्रह्मलोक में पहुँचकर ब्रह्मत्व प्राप्ति का वर्णन है । 2 भूलोक : : आचार्य राजशेखर के अनुसार पृथ्वी भूलोक है, उसमें सात महाद्वीप हैं। सब द्वीपों में मध्य में जम्बू द्वीप है । जम्बू द्वीप के अनन्तर क्रमश: प्लक्ष, शाल्मली, कुश, क्रौञ्च, शाक और पुष्कर द्वीप हैं। द्वीपों की यह स्थिति बाहर बाहर मंडली के रूप में है। 3 समुद्र : 'काव्यमीमांसा' में सातों महाद्वीपों को घेरे हुए सात समुद्रों का उल्लेख है। यह लवणजल, इक्षुरस, सुरा, घृत, दूध, दधि और मधुर जल के सात समुद्र हैं। काव्य में एक लवण समुद्र, तीन समुद्र, 1. त्रयो वर्णास्त्रयो लोकास्त्रैविद्यं पावकास्त्रयः त्रैकाल्यं त्रीणि कर्माणि तिस्त्रो मायास्त्रयो गुणाः । 33 । ( वायुपुराण अध्याय 59 द्वितीय खण्ड) - व्यक्तानि तु प्रवक्ष्यामि स्थानान्येतानि सप्त वै भूलकः प्रथमस्तेषां द्वितीयस्तु भुवः स्मृतः । 16 स्वस्तृतीयस्तु विज्ञेयश्चतुर्थो वै महः स्मृतः । जनस्तु पञ्चमो लोकस्तपः षष्ठो विभाव्यते । 17 सत्यन्तु सप्तमो लोको निरालोकस्ततः परम् (वायुपुराण, द्वितीय खण्ड, अध्याय 63 शिवपुरवर्णन) - 2. भूर्लोकोऽथ भुवर्लोक: स्वर्लोकश्च प्रकीर्तितः । जनस्तपश्च सत्यं च ब्रह्मलोकश्च सप्तमः । 14 । पातालं वितलं विद्धि अतलं तलमेव च पञ्चमं विद्धि सुतलं सप्तमं च रसातलम् । 15। (भविष्य पुराण- भाग महर्लोकाज्जनोलोकं ब्रह्मलोकं च गच्छति ब्रह्मत्वं च महाबाहो याति विप्रो न संशयः । 116 | - 1, मध्यम पर्व, ब्रह्माण्डोत्पत्ति विस्तार वर्णन ) (भविष्यपुराण भाग 1, ब्राह्म पर्व सृष्टि वर्णन ) - 3. तेषु भूर्लोकः पृथिवी । तत्र सप्तमहाद्वीपाः । यथा "जम्बूद्वीपः सर्वमध्ये ततश्च प्लक्षो नाम्ना शाल्मलोऽतः कुशोऽतः । क्रौचः शाकः पुष्करश्चेत्यथैषां बाह्या संस्थितिर्मण्डलीभिः ॥" (काव्यमीमांसा सप्तदश अध्याय)
SR No.010645
Book TitleAcharya Rajshekhar krut Kavyamimansa ka Aalochanatmaka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiran Srivastav
PublisherIlahabad University
Publication Year1998
Total Pages339
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size28 MB
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