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________________ [258] आश्चर्य करते हैं जिसके आलोचक उस कवि के स्वामी, मित्र, मन्त्री, शिष्य और गुरू न हों। इस प्रकार तत्कालीन समाज में काव्यप्रेमी अधिकांश लोग थे और कवि के निकटवर्ती सभी उसके काव्य के आलोचक बन जाते थे। इस कारण आचार्य राजशेखर को आलोचकों के विविध प्रकार काव्य जगत् में उपलब्ध हए जिनका उन्होंने काव्यमीमांसा में विशद विवेचन किया है। काव्य का भावन करने के पश्चात् भावक उसके प्रति अपने विचार प्रकट करने के लिए अपने अपने स्तर के अनुसार अनेक विधियाँ अपनाते थे। कुछ वाणी के द्वारा अपने भाव प्रकट करते थे। कुछ केवल हृदय में ही काव्य भावन करके रह जाते थे। कुछ भावक अपने विचारों को मानसिक, शारीरिक चेष्टाओं के द्वारा अभिव्यक्त करते थे। किन्तु कवि तो अपने उन्हीं काव्यों से लाभान्वित होते थे, जिनका प्रचार भावक चतुर्दिक् करते थे ।2 संसार के लिए तो केवल अपने हृदय में भावन करने वाले काव्यभावक व्यर्थ हैं। भावकों द्वारा किए गए प्रचार से ही जगत् बाल्मीकि, व्यास, कालिदासादि आदि महाकवियों की रचनाओं से लाभान्वित हआ। विभिन्न प्रकार के आलोचकों की आचार्य राजशेखर ने क्रमिक श्रेणियां निर्धारित की क्योंकि जो आलोचक समाज में उपलब्ध होते थे उनमें कुछ काव्य के केवल गुण ग्रहण करते थे, कुछ की दृष्टि काव्य के केवल दोषों पर ही जाती थी। इस अविवेक का आधार व्यक्तिगत कारण भी होते थे। कुछ श्रेष्ठ समालोचक गुण, दोष दोनों को छोड़कर रसास्वादन मात्र करने वाले भी होते थे 3 इन सभी आधारों को ग्रहण करते हुए आचार्य राजशेखर ने काव्यमीमांसा में भावकों के चार प्रकार प्रस्तुत किए हैं 1 म्वामी मित्रं च मन्त्री च शिष्यश्चाचार्य एव च। कवेर्भवति हि चित्रं किं हि तद्यन्न भावकः॥ काव्यमीमांसा - (चतुर्थ अध्याय) 2. वाग्भावको भवेत्कश्चिद्धृदयभावकः। सात्विकैराङ्गिकैः कश्चिदनुभावैश्च भावकः॥ काव्येन किं कवेस्तस्य तन्मनोमात्रवृत्तिना। नीयन्ते भावकैर्यस्य न निबन्धा दिशो दश॥ काव्यमीमांसा - (दशम अध्याय) 3 गुणादान पर : कश्चिद्दोषादानपरोऽपरः । गुणदोषाहतियागपरः कश्चन भावकः॥ काव्यमीमांसा - (चतुर्थ अध्याय)
SR No.010645
Book TitleAcharya Rajshekhar krut Kavyamimansa ka Aalochanatmaka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiran Srivastav
PublisherIlahabad University
Publication Year1998
Total Pages339
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size28 MB
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