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________________ [14] आचार्य राजशेखर का जन्मस्थान एवम् वंशः: आचार्य राजशेखर का जन्म यायावर वंश में महाराष्ट्र के विदर्भ नामक स्थान में हुआ था। यायावरवंश ब्राह्मणों का था। अत: राजशेखर ब्राह्मण थे। विदर्भ का आधुनिक नाम बरार है। विदर्भ को अत्यधिक महत्व सम्भवत: अपनी जन्मभूमि के रूप में ही आचार्य राजशेखर द्वारा दिया गया है। इसको सरस्वती का जन्म स्थान तथा वाङ्मय की विलासभूमि कहा गया है। विदर्भ के वत्सगुल्म नगर में ही सारस्वतेय काव्यपुरुष ने साहित्यविद्यावधू से विवाह किया । वत्सगुल्म अकोला जिले में स्थित वाशिम का ही प्राचीन नाम है। श्री नारायणदीक्षित भी आचार्य राजशेखर को महाराष्ट्र का ही मानते थे। यायावर वंश तत्कालीन महाराष्ट्र का सुप्रसिद्ध ब्राह्मणवंश था। यायावर एक स्थान पर न रहकर प्राय: यात्रा करते रहने वाले लोग थे। यह यायावर सन्यासी न होकर गृहस्थ अथवा वानप्रस्थी सन्त थे। ऐतरेय ब्राह्मण में भी निरन्तर यात्रा करने वाले लोगों का वर्णन है। ऐसे ही ब्राह्मण यायावर वंश में 1. (क) "This Brahmana family hailed from Maharashtra Vatsagulma, modern Basim (properly Vasim) in the Akola District of Madhya Pradesh was probably its original place of habitation." (Corpus Inscriptionum, Indicarum, Vol. IV (Introduction) P. CIXXIV. Mirashi) (ख) "वह स्वयं महाराष्ट्र का ही ब्राह्मण था, परन्तु कन्नौज के दरबार में जाकर वहाँ राजगुरू नियुक्त हो गया था।" (मध्यकालीन भारतकी सामाजिक अवस्था, हिन्दुस्तानी एकेडमी व्याख्यानमाला, अल्लामा अब्दुल्लाह यूसुफ, पृष्ठ 36, 1927-28 ई.) 2 (क) "तत्रास्ति मनोजन्मनो देवस्य क्रीडावासो विदर्भेषु वत्सगुल्म नाम नगरम्। तत्र सारस्वतेयस्तामौमेयीं गन्धर्ववत्परिणिनाय।" काव्यमीमांसा - (तृतीय अध्याय, पृष्ठ - 23) (ख) सुग्रीवः-भरताग्रज। अयमग्रे महाराष्ट्रविषयः। राम: - यत् क्षैमं त्रिदिवाय वर्त्म निगमस्याङ्गं च यत् सप्तमम् स्वादिष्टं च यदैक्षवादपि रसाच्चक्षुश्च यद् वाङमयम् । तद्यस्मिन्मधुरं प्रसादि रसवत् कान्तञ्च काव्यामृतम् सोऽयं सुभ्र पुरो विदर्भविषयः सारस्वती जन्मभूः॥ (बालरामायण - अध्याय-10, श्लोक-74) 3 "बालरामायणे स्वस्य महाराष्ट्रवर्णनात् महाराष्ट्र: कविः------" (विद्धशालमञ्जिका की टीका की प्रस्तावना) श्री नारायण दीक्षित) 4. पुष्पिण्यौ चरतो जङ्के भूष्णुरात्मा फलेग्रहिः। शेरेऽय सर्वे पाप्मानः श्रमेण प्रपथे हताः॥ (ऐतरेय ब्राह्मण, 7/15/2)
SR No.010645
Book TitleAcharya Rajshekhar krut Kavyamimansa ka Aalochanatmaka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiran Srivastav
PublisherIlahabad University
Publication Year1998
Total Pages339
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size28 MB
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