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________________ [165] बसन्त में मालती का वर्णन न करना : बसन्त में मालती पुष्प की स्थिति सर्वमान्य है, किन्तु कविगण बसन्त में मालती का वर्णन नहीं करते। सम्भव है बसन्त में फूली मालती का रूप कवियों को अन्य ऋतुओं की अपेक्षा कम सुन्दर प्रतीत हुआ हो अथवा इस अनिबन्धन का अन्य कोई कारण भी हो सकता है जो कवियों की दृष्टि में रहा है, किन्तु जिसका ज्ञान अथवा सम्भावना कठिन है। चन्दन में फलफूल का वर्णन न करना : चन्दन वृक्ष अपने सौरभ के कारण पर्याप्त सुन्दर है। उसे फूलों, फलों के सौन्दर्य से सुसज्जित करके प्रस्तुत करना कवियों को व्यर्थ ही प्रतीत हुआ होगा। चन्दन में होने वाले पुष्पों की न तो कवि की वर्णना के अनुरूप मनोहारिता ही होती होगी और न ही फलों का कोई लाभ । अतः केवल सौन्दर्यातिशय के वर्णन से सम्बन्धित कवि चन्दन में व्यर्थ फलों तथा पुष्पों का वर्णन क्यों करते? इन फलों, फूलों की व्यर्थता ने ही उन्हें सत् होने पर भी कवि की दृष्टि में असत् बना दिया। कवियों के वर्णनीय तो कमल जैसे पुष्प तथा सहकार जैसे फल ही अधिक हैं। अशोक में फलों का वर्णन न करना : काव्य में अशोक वृक्ष में फलों का अनिबन्धन कवियों की ऐसी ही स्वीकृति का परिणाम है, अशोक वृक्ष में तथा पल्लवों में जो सौन्दर्य है वह अशोक के फलों में निश्चय ही नहीं होता होगा। अशोक वृक्ष को देखने पर कवियों की दृष्टि उसके हरे भरे पल्लवों तथा सघन छाया पर ही अधिक जाती होगी। इसके अतिरिक्त जिन फलों की उपयोगिता नहीं है तथा सौन्दर्य एवं कवि की सुन्दर कल्पना से सम्बन्ध भी नहीं है, कवि उन व्यर्थ फलों का अपने काव्य में वर्णन नहीं करते। कवि की सौन्दर्य निरीक्षिका दृष्टि में तो वे सत् होकर भी असत् ही हैं। कृष्णपक्ष में ज्योत्सना का तथा शुक्ल पक्ष में अन्धकार का वर्णन न करना : कृष्णपक्ष में चन्द्रमा की पूर्णता न होने के कारण अन्धकार का आधिक्य होता है तथा शुक्लपक्ष में पूर्ण चन्द्र अपनी ज्योत्सना तथा प्रकाश के द्वारा अन्धकार को अल्पमात्रा में ही रहने देता है। ज्योत्सना की स्थिति कृष्णपक्ष में भी होती है किन्तु उसकी मात्रा अल्प होने के कारण उसमें शुक्ल पक्ष की चन्द्र
SR No.010645
Book TitleAcharya Rajshekhar krut Kavyamimansa ka Aalochanatmaka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiran Srivastav
PublisherIlahabad University
Publication Year1998
Total Pages339
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size28 MB
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