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________________ [128] आवश्यकता है। आत्मविश्वास, विनय, सज्जनमैत्री, चित्त की प्रसन्नता, रसिकता, शोक न करना, आदर, स्वतन्त्र रहना, अपने उत्कर्ष की तृष्णा न करना, दूसरों के उत्कर्ष को सहना, अपनी प्रशंसा सुनकर लज्जानुभव करना, दूसरों की प्रशंसा बार बार करना, किसी से बैर या ईर्ष्या न करना, दूसरों के उत्कर्ष को सद्भाव से जीतने की इच्छा, व्युत्पत्ति के लिए सबकी शिष्यता स्वीकार करना, आशा, जंजाल का परित्याग, संतोष, सात्विकता, याचना न करना, काव्यरचना का आग्रह, दूसरे लोग यदि कभी आक्षेप करें तो उसे सह लेना गंभीरता, निर्विकारता, आत्मश्लाघी न होना, दीन न होना आदि प्रारम्भिक कवि के लिए आचार्य क्षेमेन्द्र द्वारा अनिवार्य बतलाए गए यह विभिन्न गुण कवि के स्वभाव के संस्कार से तथा उसे सात्विक बनाने से सम्बद्ध हैं। कवि का स्वास्थ्य : आचार्य राजशेखर की काव्य मीमांसा में काव्य के आठ जीवन स्त्रोत प्रदर्शित हैं। प्रतिभा, बहुश्रुतता, अभ्यास, भक्ति, विद्वत्कथा, स्वास्थ्य, स्मृतिदृढ़ता एवं उत्साह ।। काव्यनिर्माण रूप मानसिक कार्य शारीरिक स्वास्थ्य के बिना असम्भव है क्योंकि मन की एकाग्रता, शान्ति, स्मृतिदृढ़ता एवं काव्यरचना में उत्साह सभी के लिए स्वास्थ्य की प्राथमिक आवश्यकता है। आचार्य राजशेखर द्वारा प्रदर्शित कवि की दिनचर्या में प्रातः जागरण, प्रकृति के अनुकूल भोजन, श्रम निवृत्ति एवं प्रगाढ़ निद्राकवि के स्वास्थ्य से ही सम्बद्ध निर्देश हैं । स्वस्थ शरीर के लिए इन सभी की उपादेयता स्वीकार की गयी है। इसके अतिरिक्त आचार्य क्षेमेन्द्र के 'कविकण्ठाभरण' से भी कवि को शारीरिक स्वास्थ्य से सम्बद्ध विभिन्न निर्देश प्राप्त होते हैं जैसे मीठा और स्निग्ध भोजन, वात, पित्त एवं कफ की समता रूप धातुसाम्य, प्रातः जागरण, दिन में न सोना तथा उष्णता एवं शीत से शरीर की रक्षा। 1. स्वास्थ्यं प्रतिभाभ्यासो भक्तिर्विद्वत्कथा बहुश्रुतता स्मृतिर्दाढर्यमनिर्वेदश्च मातरोऽष्टौ कवित्वस्य । (काव्यमीमांसा - दशम अध्याय ) 2 कविचर्या--------स प्रातरुत्थाय कृतसन्ध्यावरिवस्यः... .............. उपमध्याह्नं स्नायादविरुद्धं भुञ्जीत च द्वितीय तृतीयौ साधु शयीत। सम्यक्स्वापो वपुषः वरमारोग्याय। चतुर्थे सप्रयत्नं प्रतिबुध्येत। ब्राह्म मुहूर्ते मनः प्रसीदत्तांस्तानर्थानध्यक्षयतीत्याहोरात्रिकम्। (काव्यमीमांसा - दशम अध्याय )
SR No.010645
Book TitleAcharya Rajshekhar krut Kavyamimansa ka Aalochanatmaka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiran Srivastav
PublisherIlahabad University
Publication Year1998
Total Pages339
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size28 MB
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