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________________ [127] विश्राम आदि आवश्यक कार्य स्वीकार किए हैं। किन्तु कवि की दिनचर्या का प्रहरों पर आधारित नियमित विभाग आचार्य राजशेखर की 'काव्यमीमांसा' के अतिरिक्त अन्यत्र नहीं मिलता। श्रेष्ठ काव्यरचयिता के लिए दिनचर्या का यह विभाग परमावश्यक है। कवि का स्वभाव: प्रत्येक कवि के काव्य का उसके स्वभाव के वैशिष्ट्य से प्रभावित होना अनिवार्य है। आचार्य कुन्तक की तो धारणा है कि विविध कवियों के व्युत्पत्ति तथा अभ्यास उनके स्वभाव के वैशिष्ट्य से प्रभावित होने के कारण विविध प्रकार के होते हैं। यद्यपि सभी कवियों के स्वभाव में एक ही प्रकार की विशेषताओं का होना सम्भव नहीं है। किन्तु स्वभाव की कुछ विशेषताओं को अपनाने का प्रयत्न प्रत्येक प्रारम्भिक कवि के लिए आवश्यक है। स्वभाव को सात्विक बनाने के लिए कुछ विशेषताएँ आचार्य राजशेखर द्वारा प्रदर्शित की गयी है जिनके अस्तित्व की अनिवार्यता सभी प्रारम्भिक कवियों के लिए है । स्वभाव से सम्बद्ध यह उपादेय वैशिष्ट्य हैं - स्मितपूर्वक भाषण, सब प्रकार से उक्तिगर्भ वार्तालाप, सभी रहस्यों को जानने की इच्छा, दूसरों के दोषों का बिना चर्चा उठे कथन न करना तथा चर्चा उठने पर यथार्थ समालोचना 2 स्मित पूर्वक भाषण कवि की मानसिक प्रसन्नता को, उक्तिगर्भ वार्तालाप उसके गाम्भीर्य को, रहस्यों के अन्वेषण का स्वभाव उसकी जिज्ञासा को तथा दूसरों के दोषों के विषय में मौन तथा अवसर उपस्थित होने पर यथार्थ समालोचना उसके पक्षपात राहित्य तथा यथार्थ समालोचना की क्षमता को व्यक्त करते हैं। स्वभाव की सात्विकता को आचार्य क्षेमेन्द्र ने भी बौद्धिक विकास के आन्तरिक सहायक साधन के रूप में स्वीकार किया है। उनकी सौ शिक्षाओं में कवि के स्वभाव के संस्कार से सम्बद्ध विभिन्न शिक्षाएँ हैं. कवि के लिए अपना स्वभाव शिष्ट, उत्साह पूर्ण तथा अदीन बनाने का प्रयत्न करने की 1. अहर्निशाविभागेन य इत्थं कवते कृती एकावलीव तत्काव्यं सतां कण्ठेषु लम्बते । 2 स यत्वस्वभावः कविस्तदनुरूपं काव्यम् । यादृशाकारश्चित्रकरस्तादृशाकारमस्य चित्रमिति प्रायो वादः । स्मितपूर्वमभिभाषणम् सर्वत्रोक्तिगर्भमभिधानं सर्वतो रहस्यान्वेषणम्, पर काव्यदूषणवैमुख्यमनभिहितस्य अभिहितस्य तु यथार्थमभिधानम् । (काव्यमीमांसा दशम अध्याय )
SR No.010645
Book TitleAcharya Rajshekhar krut Kavyamimansa ka Aalochanatmaka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiran Srivastav
PublisherIlahabad University
Publication Year1998
Total Pages339
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size28 MB
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