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क्यामखो रासा-परिशिष्ट हांसीरे सेखनूं सांपिया । तद किवरेक दिन सैद नासर फौत हुवौ । तद सैद नासररा बेटा पर औ दोनू पुतरेला पातसाह लोदी पठाण नाम बहलोल तेरी नजर गुदराया । ताहरां सैद नासररा बेटा पातसाहरी नजर उसढ़ा न पाया पर श्री चहुवाण नजर श्रायो। तेरो नाम क्यामखान हुतो सु इयेनू सैद नासररो मुनसबं हुतो सु दियौ अर जाटरो नाम जैनूं हुतो तेरा जैननदोत कहाया । सो जूझणं फतेपुर माहे केहीक रहै छै । श्रर पातसाह थोड़ो बीजानूं पण दियो । पर क्यामखांनी हंसाररी फोजदारी दोवी । तद इयै दीठो "जु कोइक,रहणनूं ठिकाणो कीजै तो भलो" ताहरां जूझणं श्राछी दीठी!, ताहरां चोधरी तेड़ियो ।, ताहरां कह्यो-"चौधरी ! तुं कहै तो म्हे ठिकाणो रहणनूं करां" ताहरां चोधरी बोलियो-"जु भलो ठोड़ वणावो । ऊ पण म्हारो नाम रहै त्यूं करीज्यौ" ताहरा ,कलो भलों । ताहरां , चोधरीरो नाम जूझो हुतो सु तिकेरै नाम
झणं वसायौ । अनै जूझणं माहिली. ही ज धरती काढ़ नै फतैपुर वसायौ । नै भै भोमिया थका रहै । पछै कितरहेके दिन 'अकबर पातसाह मांडण कूपावंत जमणं जागीरमें दी हुती । अर फतेपुर इण जूझणूं माहिली ही ज़ हुती सु फतैपुर गोपालदास सूजावत कछवाहे दी हुती । सु भोमिया थका रैहता । मुकातो देता। सुपछै जहांगीर पावसाहरा चाकर हुवा । सु पैहला तो समसखां जूझणूं चाकर रह्यो । पछै अलमखा रह्यो। '
दूहो - पैहली तो हिंदु हुता, पाछ हुआ तुरक । ता पाछ गोले हुवै, तात वडपण तुक्क ॥१॥ धाये काम न श्रावही, क्यांमखांनि गंदेह । बंदी श्राद-जुगादके, सैद नासर हंदेह ॥२॥
इति क्यांमखान्यारी वात संपूर्ण ॥" . .
___ परिशिष्ट नं०३ क्यामखारासामें सरदारखांके राज्याधिकार प्राप्ति तकका उल्लेख है, अतः परवर्ती इतिवृत्तकी __ पूर्ति फतहपुर परिचयसे की जाती है - - ..
... ... "१ - नवाब सरदारखां (0). . (संवत १७१० से १७३७ तक तदनुसार सन् १६५३ से १६६० तक)
नवाव दौलतखां और ताहिरखांके.संवत् १७१०में, प्राणान्त हो जानेके बाद, ताहिरखांके पुत्र सरदारखांको शासनाधिकार मिला।' अपने नामसे उसने "सरदारपुरा" गांव श्राबाद किया। वह शासनस्थ प्रजाकी और अपने राज्यको रक्षा करने में हर समय लगा रहता था।