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अलिफखांकी पैडी]
नर नारी मिल सेज पर । नां करहि किलोल । अंखी कजल ना रह्या। मुह नाँहि तंबोल ॥ पत्रांहदे कपड़ कीये। फटि बसंन अमोल । कदही दरपण हथ्थ लै। नां तकहि कपोल ॥१४॥ भगे फिरै पहाड़िये । भारी दुख पावै । पैर थके परबत चढ़त । संगती बिललावै ।। अन्न पकावणनों नहीं। तरु छाल पकावै । दल देखे दीवानदे । छडि आप भगावै ॥१५॥ मौपै ठाण धमेहड़ी । मारी असराल । जंबूदा जंबू हुवा। चूहा चंब्याल । नगरकोट अपबस कीया। असु चढ़ि ततकाल । मडई और सुखेत ले। कड्डी रिप खाल ॥१६॥ कीता नगर सिकंदरा। बहु साह सिकंदर । तहां अलिफखां जाइ । करि ढाह अ"। भगे फिरै पहाड़ियै । ज्यों गिर गिरकंदर । रुक्खां उपर कुददे। हंढे ज्यौं बंदर ॥१७॥ हंभ पहाड़ी हिक होइ। यह गल विचारी । खां जीवत छड्डे नहीं । हम निजर निहारी । उड़ि न सके फट्ट नही । धर काठी भारी । करै लड़ाई बागले। हम येकै बारी ॥१८॥ जगता चढया पठाणियां । बिसभर चंव्याल । सीबैदा अभू चढ्या । फतू जसवाल ।। चड़या सुखेतड़ स्यांमदा । चद सूरज मडाल । भोपत बिलूदा चड़या। ठक्कर चिड़ियाल ॥१९॥ अनरुध चड़िया राजपुर। और टलू कपूर । चड्या कल्याण कूलूदा । चंदा कहलूर । अरु बूला कुटलहरिया । आइ हुवा हजूर । चंद्रभाण तत्ता चढ्या । ज्यौ उगै सूर ॥२०॥