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क्यामखां रासा
लखी जंगलको बिदा भयो अलिफखानुं चहुवांन जब, उतरे आइ कसूर । डरत भाजि पतिसाह पै, गयो भटी मनसूर ।।८३९॥ गढ़ी तकी अरि वरनकी, चढ़ि आये दीवांन । वैहूं आगै तें लरे, भलौ पर्यो घमसांन ।।८४०।। करवर बर अरवर हनै, कढे तीन सै मुंड । कोऊ निकसन नां लह्यो, बंध परि अरि अँड ॥८४१।। अरवर छार मिलाइ के, डोगर तके दीवांन । आप आपकौं भजि गये, आवत सुनि चहुवांन ।।८४२।। उतते फिर ताके बटू, सके सहारि न हाक । असौ कौन जु सहि सके, अलिफ खांनकी धाक ॥८४३।। उततें चढ़ि दीवांन जू, खाई डेरौ कीन । आइ मिले भुमिया सकल, होइ दीन आधीन ।।८४४॥ फिर चिहुंनी · देपालपुर, आये है दीवांन । पाक पटन ज्यारत करी, पूजी इछया प्रांन ।।८४५।। आइ मिल्यौ आधीन है, टुढ़ी बहादर खांन । भेट दई दीवांनकौं,' पायो आदुर मान ॥२४६।। जंगल साध्यो अलफखा, मिले भोमिया आंन । लाग्यौ करन बखांन सुनि, जहांगीर सुलतान ।।८४७॥ मिले भोमियां भेट दे, सोल के दीवान । पठय दई. पतिसाहकों, सुजस भयो चहुवांन ।।८४८।। चिहुंनी अरु देपालपुर, महमदौट सु नाम । और तिहारौ बिठंडी, पट्टन भरिहैं दाम ।।८४६।। आलमपुर पेरोजपुर, भेट दई भटनेर । मिले जलालावादके, दले दीवांनके हेर ॥५०॥ धिग कबूला रहमता, वाद रहीमाबाद । लक्खी जंगल दल मल्यो, मिले छाड के बाद ॥८५.१॥