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. प्रास्ताविक :
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पंद्योनी एक संस्कृत प्रशस्ति रची छे. एमां अरिसिंहना 'सुकृतसंकीर्तन' नामना काव्यमां जेवी हकीकत छे तेवी ज हकीकत संक्षिप्त रीते वर्णवामां आवी छे. अणहिलपुरना चावडा वंशनी हकीकत पण एमां, उक्त काव्यनी जेम, आपवामां आवी छे अने अंते वस्तुपाले करावेला केटलांक धर्मस्थानोनी यादी पण आपी छे. कदाचित् शत्रुंजय पर्वत उपरना आदिनाथना मंदिरमां कोक ठेकाणे आ प्रशस्ति शिलापट्टपर कोतरीने मुकवा माटे बनाववामां आवी होय.
(ऐ) जयसिंहसू रिकृत वस्तु पाल - तेजः पाल प्रशस्ति
जेमणे ' हमीरमदमर्दन' नामनुं नाटक रच्युं ते ज जयसिंहसूरिये 'वस्तुपाल - तेजः पालप्रशस्ति' नामे एक ९९ पद्योनी टुंकी रचना करी छे. एमां अणहिलपुरना चौलुक्य वंशनुं वस्तुपाल - तेजपालना पूर्वजोनुं अने तेमणे करावेलां केटलक धर्मस्थानोनुं वर्णन छे. तेजपाल ज्यारे भरुच गयो त्यारे त्यां तेणे जयसिंहसूरनी प्रेरणाथी, त्यांना सुप्रसिद्ध पुरातन 'शकुनिका विहार' नामे मुनिसुव्रतजिन चैत्यना शिखरे उपर सुवर्णकलश अने ध्वजादंड वगेरे चढावी ए मंदिरने खूब अलंकृत बनाव्यं हतुं, तेथी तेनी प्रशस्तितरीके आ कृति बनाववामां आवी छे.
(ओ) नरेन्द्रप्रभसूरिविरचित मंत्री श्वर वस्तु पाल प्रशस्ति
वस्तुपालना मातृपक्षीय धर्मगुरु नरेन्द्रप्रभसूरिये १०४ श्लोकोनी एक 'वस्तुपालप्रशस्ति' बनावीछे. एमां चौलुक्य वंश अने वस्तुपालना वंशनुं टुंकुं वर्णन आपी, ए मंत्रीये जे जे ठेकाणे मुख्य मुख्य धर्मस्थानो के देवस्थानो कराव्यां अगर समराव्यां तेनी लंबाणथी यादी आपी छे. प्रशस्तिकार पोते ज-ए यादीने बहु टुंकी जणावे छे, छतां ए दानवीरे गुजरातनी पुण्यभूमिने भव्य स्थापत्यनी विभूतिथी अलंकृत करवा माटे जे अगणित लक्ष्मी खर्ची छे तेनी केटलीक सारी कल्पना ए प्रशस्तिना पाठथी थई शके छे.
एज आचार्यनी रचेली ३९ पद्योनी एक बीजी नानी सरखी प्रशस्ति, तथा एमना गुरु आचार्य नरचंद्रसूरिनी करेली २६ पद्योवाळी एक बीजी प्रशस्ति, तेम र्ज 'सुकृनकीर्तिकल्लोलिनी' ना कर्ता उदयप्रभसूरिनी रचेली ३३ पद्योवाळी वस्तुपालस्तुति वगेरे केटलीक अन्य कृतियो पण मने मळी छे.
( औ) विजयसेनसूरिकृत रेवंत गिरिरा सु
वस्तुपालना इतिहास माटेनी उपयोगितामां छेली पण भाषाविकासना अभ्यास माटेनी योग्यतानी दृष्टिये एक पहेली कक्षानी कृति तरीके विजय सेनसूरिना बनावेला गुजराती 'रेवंतगिरिरासु'नी नोंध पण आ साधनसामग्री भेगी लेवी जोईए. ए विजयसेनसूरि वस्तुपाल - तेजः पालना मुख्य धर्माचार्य. एमना उपदेशने अनुसरीने ज ए बने भाईयोए तेटलां बधां सुकृतनां कार्यो कर्या हतां. एमना कथनने, मान आपीने ज वस्तुपाले सौथी पहेलो गिरनारनी यात्रा माटेनो मोटो संघ काढ्यो ए संघमां स्त्रीवर्गना गावा माटे, गिरनार वगैरेनुं सुंदर वर्णन गुंथी, ए रासनी रचना करवामां आवी छे. एमां विशेष ऐतिहासिक सामग्री जडती नथी छतां एवं ऐतिहासिक मूल्य आ दृष्टिये विशिष्ट छे ज अने गुजराती भाषानी एक आयकालीन कृति तरीके तो एनी विशिष्टतां सर्वोपरी गणी. शकाय..
(अं) जिनभद्रकृत ना ना प्रबंधा व लि
वस्तुपालना पुत्र जयन्तसिंहना भणवा माटे संवत् १२९० मां, उपर्युक्त उदयप्रभसूरिना शिष्य जिनभद्रे अनेक कथाओना संग्रहवाळी एक ग्रंथरचना करी छे जे खंडितरूपमां मने पाटणना भंडारमांथी मळी आवी छे. एमां पृथ्वीराज चाहमान, कनोजना जयन्तचंद्र, अने नाडोलना लाखण