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धर्माभ्युदय, महाकाव्य
( उ ) उदयप्रभसूरिकृत धर्मा भ्युदय महाकाव्य
वस्तुपालना धर्मगुरु आचार्य विजयसेनसूरिना पट्टधर आचार्य उदयप्रभसूरिये पुराणपद्धति उपेर एक 'धर्माभ्युदय' नामनो ग्रंथ बनाव्यो छे. वस्तुपाले संघपति थईने, घणा भारे आडंबर साथै, जय गिरनार आदि तीर्थोनी जे यात्राओ करी हती तेनुं माहात्म्य बताववा अने समजाववा माटे ए ग्रंथ रचवामां आव्यो छे. वस्तुपालनी जेम पुराण काळमां कया कया पुरुषोंए मोटा मोटा संघो काढी ए तीर्थोनी यात्राओ करी हती, तेमनी कंथाओ एमां आपवामां आवेली छे. ग्रंथनो मोटो भाग पौराणिक कथाओथी भरेलो छे, पण छेवटना भागमां, सिद्धराजना मंत्री आशुके, कुमारपालना मंत्री वाग्भटे अने अंते वस्तुपाले जे यात्रा करी, ते संबंधी केटलीक ऐतिहासिक नोंघो पण एम आपेली मळी आवे छे.
(ऊ) जयसिंहसूरिकृत हमीर मदमर्दन नाटक
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वस्तुपाले गूजरातना राजतंत्रनो सर्वाधिकार हाथमां लीघा पछी, क्रमे क्रमे पोताना शौर्य अने बुद्धिचातुर्य द्वारा, एक पछी एक राज्यना अंदरना अने बहारना शत्रुओनुं कळ अने बळथी दमन कर शुरु क. ते जोई गुजरातना पडोशी राजाओ खूब खळभळी उठ्या अने तेमणे गुजरातमां पुनःस्थापन थता सुतंत्रने उथलावी पाडवाना इरादाथी आ देश पर आंक्रमणो करवां मांड्यां. वि. सं. १२८५ ना असामां, दक्षिणना देवगिरिनो यादव राजा सिंहण, मालवानो परमार राजा देवपाल अने दिल्लीनो तुरुष्क सेनापति अमीरे शीकार- एम दक्षिण, पूर्व अने उत्तर त्रणे दिशाओमांथी एकी साथै त्रण बळवान् शत्रुओए गुजरात उपर चढाई लई आववानो लाग शोध्यो . ए भयंकर कटोकटीना वखते वस्तुपाले पोतानी तीक्ष्ण चाणक्यनीतिनो प्रयोग करी, शत्रुओने छिन्नभिन्न करी नांख्या अने देशने आबाद रीते बचावी लीधो. दिल्लीना बादशाही सैन्यने आबूनी पासे सखत हार आपी पार्छु हांकी काव्युं; अने ए रीते ए तुरुष्क अमीर, जेने संस्कृतमां 'हमीर' तरीके संबोधवामां आवे छे, तेना मदनुं मर्दन करी गुजरातनी सत्तानुं मुख उजवळ कर्यु. ए आखी घटनाने मूळ वस्तु तरीके गोठवी, भरुचना जैन विद्वान् आचार्य जयसिंहसूरिए 'हमीरमद्रुमर्दन' नामनुं पंचांकी नाटक बनाव्यं. एनाटकनी रचना करवामां मुख्य प्रेरणा, वस्तुपालनो पुत्र जयंतसिंह, जे ते वखते खंभातनो सुबो हतो तेनी हती, अने तेना ज प्रमुखत्व नीचे भीमेश्वरदेवना उत्सवप्रसंगे खंभातमां ते भजववामां हतुं. ए रीते ए एक ऐतिहासिक नाटक छे, जेने भारतीय नाटकसाहित्यमां अत्यंत विरल कृतियोमांनी एक कृति तरीके गणी शकाय वस्तुपालना वखतनी राजकारण सूचवती ने हकीकतो आ नाटकमां गुंथेली छे ते बीजी कोई कृतियोमां नथी मळती तेथी ए इतिहासमाटे, आ घणो उपयोगी अने महत्त्वनो प्रबंध छे. केटलाक विद्वानोए, एमां आपली हकीकतोने, वधारे अतिशयोक्ति भरेली जणावी छे पण ते बराबर नथी. मारा मते एवं ऐतिहासिक मूल्य वधारे ऊंचा प्रकारनुं छे.
वस्तुपालप्रशस्तियो
उपर जे वस्तुपाल विषेनां काव्यो वगेरेनो परिचय आध्यो छे ते उपरांत ए भाग्यवान् पुरुषनी कीर्ति कथनारी वीजी केटलीक टुंकी टुकी कृतियों मळे छे, जे प्रशस्ति यो कद्देवाय छे. एवी प्रशस्तियोमाथी केटलीक आ प्रमाणे छे.
(ए) उदयप्रभसूरिकृत सुकृत की र्ति कल्लोलिनी.
उपर वर्णवेळ धर्माभ्युदय कान्यना कर्ता उदयप्रभसूरिये 'सुकृतकी र्तिकल्लोलिनी' नामनी १७९