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अंन्याबाध - अंगुरुलघुसे औ' सूक्ष्मपना - अवहनसे - || ( ११ ) शोभमान होता, तैसे ही अन्य गुणोंके समुदयसेप्रभवित हुए जो उत्तरोत्तरकर्मप्रकृति के संक्षयसे । क्षणमें ऊर्ध्वगमन - स्वभावसे, शुद्ध-कर्ममलहीन हुआ,
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१ वेदनीय कर्माश्रित साता - असातारूप आकुलताके अभावका नाम ' अन्याबाध गुण है । २ गोत्रकर्माश्रित उच्चता-नीचताके अभावका नाम अगुरुलघु गुण है । ३ नामकर्माश्रित इन्द्रियगोचर स्थूलता के अभावको ' , सूक्ष्मत्व गुण कहते हैं । ४ आयुकर्माश्रितः परतंत्रता के अभावको ' अवगाहनं ' गुण कहते हैं ।