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inishcha जैनहितैषीका सप्तमवर्षका उपहार |
नमो वीतरागाये
उपामातेभवप्रपंचाकया ।
( प्रथमप्रस्ताव )
जिसे
देवरीनिवासी नाथूराम प्रेमीने श्रीसिद्धर्षिके मूल संस्कृत ग्रन्थपरसे हिन्दी में अनुवाद की और
बम्बई के कर्नाटक प्रेसमें छपाकर प्रकाशित की।
श्रीवीर निर्वाण संवत् २४३७
ईस्वी सन् १९११.