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किमाई हमार वर्षके तने लम्बे समयमें, इसने संघों और गण-मच्छोंकी खींचातानीमें पर भी उनके द्वारा भगवान् के धर्ममें जरा भी रूपान्तर नहीं हुआ है।
हमारे समाजके विद्वान तो अभी तक यह माननेको भी तयार नहीं थे कि जैनापायोंमें भी परस्पर छ मतमेव हो सकते हैं। यदि कहीं कोई ऐसे भेद नगर माते थे, तो वे उन्हें अपेक्षाओंकी सहायतासे या उपचार मादि कहकर टाल देते थे; परन्तु अब 'प्रन्यपरीक्षा के लेखक पडित मुगलकिशोरजी मुख्तारने अपनी सुचिन्तित और सुपरीक्षित 'जैनाचायोका शासनमेद' नामकी लेखमागमें इस बातको अच्छी तरह सर कर दिया है कि नाचायोमें भी काफी मतमेद थे, जो यह निवास करनेके लिए पर्याप्त है कि भगवानका धर्म धुलसे अब तक ज्योका त्यों नहीं चला आया है और उसके असली सके सम्बन्धमें मतभेद हो सकता है।
संसारके प्राया सभी धमोंमें रूमान्तर हुए हैं और धरायर होते रहते हैं। उदाहरणक लिए पहले हिन्दू धर्मको ही ले लीजिए । बड़े बड़े विद्वान् इस बात को स्वीकार करते है कि जैनधर्म मार पौषमक नपर्दस्त प्रभाव परकर उसकी वैदिकी हिंसा प्राय हो गई है और पैदिक समयमें विस गौके पडोके माथसे ब्राह्मणोश अतिषिसलार किया जाता था, (महौज का महोक्ष वा श्रोत्रियाय प्रकल्पयेत् ) वहीं आम हिन्दु बोकी पूजनीया माता है और वर्तमान हिन्दू धर्ममें गौहत्या महापातक गिना जाता है। हिन्दू मब अपने प्राचीन धर्मप्रन्योम पतला हुई नियोगकी प्रथाको व्यभिचार और अनुलोम-प्रतिलोम विवाहको भनाचार समझते हैं। विस चौधर्मने संसारसे जीवहिंसाको उठा देने के लिए प्रवत आन्दोलन किया था, उसीके अनुयायी तिव्वत और बीमके निवासी भाग सर्पमधी बने हुए
है दर, कोदे गमको तक उनके लिए मचाय नहीं हैं। महात्मा बुबनीच ऊँचके भेदभावसे युक वर्णव्यवस्थाके परम विरोधी थे; परन्त मान समके नेपाउदेशवासी अनुयायी हिन्दुओक ही समान बाविमेदके रोगसे प्रसित है। महात्मा कीर जीवन भर इस मण्यात्मवाणीको सुनावे रहे:
जात पात पूछे नहिं कोई,
हरिको भने सो हरिका होई। परन्तु आप उनके आखों अनुयायी जातिपातिके कीचड़ में अपने अन्य पौषिगौक ही पमाम फैसे हुए हैं। इस ऊँच-नीचके मेवभावकी बीमारीखे तो मुछ यूरोपसे माया हुमा ईसाई धर्म भी नहीं बच सका है। पाठकोंने सना शेगा कि मबास प्रान्तमें माझम इसाइयोंकि मिरवापर सदा भौर शूद्र सायकि गिरिजापर शुदा हैं और वे एक
सारेको एमाको पिसे देखते हैं। ऐसी वा बदि हमारे मैनधर्मम देशकारके प्रमा• * यह खमाला मद मुख्तारसाहबके द्वारा संशोषित और परिवदित होकर बैन
to कार्यालय कम्बद्वारा पुस्तकाकार प्रकाषित हो गई है।