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________________ दर्शनसार। immmmm उनकी मृत्यु हुई थी और इसी वर्ष मोजका राज्याभिषेक हुआ था। अमितगतिने सुभाषितरत्नसंदोहके बननेकां समय १०५० दिया है। और उस समय मुन्न राज्य कर रहे थे, ऐसा लिखा है । अब यदि इस १०५० संवतको हम जन्मका संवत् वनावें, तो इसमें विक्रमकी उम्र जो ८० वर्षे कही जाती है जोड़नी चाहिए । अर्थात् ११३० संवतके लगभग यह समय पहुँच जायगा; अथवा राज्याभिषेकका सवत् बनावें और अनुमानत आभषेकके समयकी अवस्था २० वर्ष मान लें, और इसलिए (८०-२०६०) साठ वर्ष जोड़ें तो १११० के लंगमग पहुँच जायगा । परन्तु इस समयतक मुनके रहनेका कोई प्रमाण नहीं है । मुंजके उत्तराधिकारी भोजकी मृत्यु सं० १११२ के पूर्व हो चुकी थी और १११५ में उदयादित्यको सिंहासन मिल चुका था। इससे सिद्ध है कि विक्रमका वर्तमान संवत् उसकी मृत्युका ही संवत् है और दर्शनसारमें जो सवत् दिया गया है उसको और प्रचलित विक्रम संवतको एक ही समझना चाहिए। इस विषयमें यह बात भी ध्यानमें रखने योग्य है कि संवत् एक स्मृतिका चिह्नया यादगार है। इसका चलना मृत्युके बाद ही संभव है।जो बहुत प्रतापी और महान होता है उसको ही साधारण जनता इस प्रकारके उपायोंसे अमर बनाती है । सर्व साधारणके द्वारा राज्याभिषेकका संवत् नहीं चल सकता । क्योंकि सिंहासन पर बैठते ही यह नहीं मालूम हो सकता कि यह राजा अच्छा होगा । कोई कोई राजा, लोग अवश्य ही अपने दानपत्रादिमें अपने राज्यका संवत् लिखा करते थे, परन्तु वह उन्हींके जीवन तक चलता था । इसी तरह जन्मका संवत् भी नहीं चल सकता।भगवान महावीर, ईसा, मुहम्मद आदि सबके संवत् मृत्युके ही है। अब सब सघोके समयकी जॉच की जानी चाहिए । सबसे पहले
SR No.010625
Book TitleDarshansara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granth Ratnakar Karyalay
Publication Year1918
Total Pages68
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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