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नहीं हैं। अत: विनय-पिटक केवल संघ-सम्बन्धी नियमों का संग्रह न हो कर आज हमारे लिए एक विशेष ऐतिहासिक गौरव का स्मारक है। जिस प्रकार भास्ना का धर्म विश्व-धर्म है, उसी प्रकार उनका विनय भी विश्व का विनय है, इसका अपने नाना रूपों में वह साक्ष्य देता है। विनय-पिटक का यह महत्त्व भी आज भारतीय विद्या और संस्कृति के उपासकों के लिए कुछ कम नहीं है।
१. देखिये एन्साइक्लोपेडिया ऑव रिलिजन एंड एथिक्स, जिल्द पाँचदी. पृष्ठ ४०१, वहीं जिल्द बारहवीं, पृष्ठ ३१८-३१९; बुद्धिस्टिक स्टडीज (डा० लाहा द्वारा सम्पादित) पृष्ठ ६३१-६३२.