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________________ ( २७९ ) विषय-वस्तु का जिस आधार पर वर्गीकरण हुआ है, उससे भी यही स्पष्ट है कि गाथा - भाग, या जिसे विन्टरनित्ज़ आदि विद्वानों ने 'गाथा - जातक'" कहा है, वही उसका मूलाधार है । 'जातक' ग्रन्थ का वर्गीकरण विषय-वस्तु के आधार पर न होकर गाथाओं की संख्या के आधार पर हुआ है । थेर-थेरी गाथाओं के समान वह भी निपातों में विभक्त है । 'जातक' में २२ निपात हैं । पहले निपात में १५० ऐसी कथाएँ हैं जिनमें एक ही एक गाधा पाई जाती है। दूसरे निपात में भी १५० जातक कथाएँ हैं, किन्तु यहाँ प्रत्येक कथा में दो-दो गाथाएँ पाई जाती हैं। इसी प्रकार तीसरे और चौथे निपात में पचास-पचास कथाएँ हैं और गाथाओं की संख्या क्रमशः तीन-तीन और चार-चार है । आगे भी तेरहवें निपात तक प्रायः यही क्रम चलता है। चौदहवें निपात का नाम 'पणिक निपान' है। इस निपात में गाथाओं की संख्या नियमानुसार १४ न हो कर विविध है । इसीलिए इसका नाम 'किक' ( प्रकीर्णक) रख दिया गया है। इस निपात में कुछ कथाओं में १० गायाऍ भी पाई जाती हैं और कुछ में ४७ तक भी। आगे के निपातों में गाथाओं की संख्या निरन्तर बढ़ती गई है। बाईसवें निपात में केवल दस जातक कथाएँ हैं, किन्तु प्रत्येक में गाथाओं की संख्या मौ से भी ऊपर है । अन्तिम जानक (वेस्सन्तर जातक ) में तो गाथाओं की संख्या सात सौ से भी ऊपर है । इस सब से यह निष्कर्ष आसानी से निकल सकता है कि जातक कथाओं की आधार गाथाएं ही हैं | स्वयं अनेक जातक कथाओं के 'वेय्याकरण' भाग में 'पालि' और 'अट्ठकथा' के बीच भेद दिखाया गया है, जैसे कि पालि सुनों की अन्य अनेक अट्ठकथाओं तथा 'विमुद्धिमग्गो' आदि ग्रन्थों में भी। जहाँ तक 'जातक' के वैय्याकरण भाग से सम्बन्ध है, वहाँ 'पालि' का अर्थ त्रिपिटक गत गाथा ही हो सकता है । भाषा के साक्ष्य से भी गाथा भाग अधिक प्राचीनता का द्योतक हैं अपेक्षाकृत गद्यभाग के । फिर भी, जैसा विन्टरनित्ज़ ने कहा है, जातक की सम्पूर्ण १. इंडियन लिटरेचर, जिल्द दूसरी, पृष्ठ ११८-११९ २. जातक ( प्रथम खंड ) पृष्ठ २० ( वस्तुकथा ) ; देखिये विन्टरनित्ज: इंडियन लिटरेचर, जिल्द दूसरी, पृष्ठ ११८-११९ भी । ३. देखिए पहले अध्याय में 'पालि- शब्दार्थ - निर्णय' सम्बन्धी विवेचन ।
SR No.010624
Book TitlePali Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatsinh Upadhyaya
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year2008
Total Pages760
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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