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उसका कोई-कोई कथानक पूरे ग्रन्थ के रूप में है और कहीं-कहीं उसकी कहानियों का रूप संक्षिप्त महाकाव्य का मा है। 'जातक' शब्द का अर्थ है 'जात' अर्थात् जन्म-सम्बन्धी। 'जातक' भगवान् बुद्ध के पूर्व-जन्म सम्बन्धी कथाएँ है। बुद्धत्व प्राप्त कर लेने की अवस्था में पूर्व भगवान् बुद्ध 'वोधिसत्व' कहलाते हैं। वे उस समय वुद्धत्व के लिए उम्मेदवार होते है, और दान, शील, मैत्री, सत्य आदि दस पारमिताओं अथवा परिपूर्णताओं का अभ्यास करते है। भूत-दया के लिए वे अपने प्राणों का अनेक बार वलिदान करते हैं। इस प्रकार वे बुद्धत्व की योग्यता का सम्पादन करते है। 'वोधिसत्व' शब्द का अर्थ ही है वोधि के लिए उद्योगशील प्राणी (सत्व)। वोधि के लिए है सत्व (सार) जिसका, ऐसा अर्थ भी कुछ विद्वानों
किया है। इनमें रायस डेविड्स का 'बुद्धिस्ट बर्थ स्टोरीज', जो सन् १८८० में लन्दन से प्रकाशित हुआ था, अति प्रसिद्ध है। इसमें जातक-संख्या १-४० अनुवादित है। सम्पूर्ण जातक का जर्मन अनुवाद भी हो चुका है (लीपजिग, १९०८)। फॉसबाल का रोमन लिपि में जातक का संस्करण एक महत्त्वपूर्ण और ऐतिहासिक कार्य है। यह भी ६ जिल्दों में है और सातवीं जिल्द में अनुक्रमणी है (लन्दन, १८७७-१८९७) । सिआमी राजवंश की दो श्रद्धाल रानियों के द्वारा सन् १९२५ में १० जिल्दों में जातक का सिआमी लिपि में सुन्दर संस्करण प्रकाशित किया जा चुका है। सिंहली लिपि में हेवावितरणे निधि की की ओर से प्रकाशित संस्करण वैज्ञानिक सम्पादन-कला का एक सुन्दर नमूना है। 'जातक' के अनेक बरमी संस्करण भी उपलब्ध है। यह खेद है कि नागरी लिपि में अभी जातक का कोई संस्करण नहीं निकला। अंग्रेजी में तथा अन्य अनेक यरोपीय भाषाओं में तो 'जातक' पर प्रभत विवेचनात्मक साहित्य भी लिखा गया है। इसके अतिपय परिचय के लिए देखिये, विन्टरनित्त, इंडियन लिटरेचर, जिल्द दूसरी, पृष्ठ ११६, पद-संकेत ३, तथा एन्साइक्लोपेडिया
ऑव रिलिजन एण्ड ईथिक्स, जिल्द सातवी, पृष्ठ ४९१ से आगे उन्हीं का जातक सम्बन्धी विवरण; रायस डेविड्स : बुद्धिस्ट इंडिया, पृष्ठ १८९; गायगरः पालि लिटरेचर एंड लेंग्वेज, पृष्ठ ३०, पद संकेत २ एवं ३; लाहा : पालि लिटरेचर, जिल्द पहली , पृष्ठ २७६-७७, प्रादि, आदि
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