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(१४) विभंग वग्ग
१३१. भद्देकरत्त-सुत्त -- भूत और भविष्यत् की चिन्ता छोड़ वर्तमान में कर्म करना ही सर्वोत्तम मंगल है |
१३२. आनन्द भद्देकरत्त - सुत्त - उपर्युक्त के समान ही ।
१३३. महाकच्चान भद्देकरत्त सुत्त - - उपर्युक्त का ही अधिक विस्तृत वर्णन । १३४. लोमसकंगिय-भद्देकरत सुत्त । उपर्युक्त के समान ही
१३५. चूल कम्मविभंग - सुत्त -- संसार में असमानता क्यों ? कर्म-फल । १३६. महाकम्मविभंग-सुत्त - उपर्युक्त के समान ही ।
१३७. सळायतन - सुत्त - छह आयतनों एवं चार स्मृति - प्रस्थानों का वर्णन । १३८. उद्देश विभंग - सुत्त --- इन्द्रिय संयम, ध्यान और अपरिग्रह का उपदेश । १३९. अरण-विभंग - सुत्त - शान्ति का रहस्य ?
१४०. धातु विभंग-सुत्त -- छह धातुओं ( पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश, चित्त) का निरूपण
१४१. सच्चविभंग-सुत्त -- चार आर्य सत्यों का विवरण ।
१४२. दक्षिणा - विभंग-सुत्त — संघ को दिया हुआ दान व्यक्ति को दिये हुए दान से बढ़कर है ।
(१५) सळायतन - वग्ग
१४३. अनाथपिण्डिकोवाद- सुत्त - - अनाथपिंडिक की बीमारी और मृत्यु का वर्णन । अन्तिम समय में धर्मसेनापति सारिपुत्र का उसको उपदेश । १४४. छन्नोवाद-सुत्त- --- छन्न की आत्महत्या |
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१४५. पुण्णोवाद- सुत्त -- स्थविर पूर्ण की सहिष्णुता ।
१४६. नन्दकोवाद-सुत्त-- अनात्मवाद एवं सात बोध्यङ्गों का वर्णन । १४७. चूलराहुलोवाद - पुत्त - अनात्मवाद सम्बन्धी उपदेश ।
१४८. छछक्क-सुत्त -- अनात्मवाद का विस्तृत विवेचन ।
१४९. महासळायतनिक- सुत्त - तृष्णा और दुःख का निरूपण । १५०. नगर विन्देय्य सुत्त - - आदरणीय श्रमण-ब्राह्मण कौन हैं ? १५१. पिंडपात - पारिद्धि-सुत्त -- भिक्षा की शुद्धि कैसे ? स्मृति - प्रस्थान आदि की भावना का उपदेश ।
१५२. इन्द्रिय - भावना - सुत्त -- इन्द्रिय संयम कैसे हो ?
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