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[२] योगदर्शन.
योगदर्शन यह सामासिक शब्द है । इसमें योग और दर्शन ये दो शब्द मौलिक हैं।
योग शब्दका अर्थ-योग शब्द युज् धातु और घञ् प्रत्ययसे सिद्ध हुवा है । युज् धातु दो हैं । एकका अर्थ है जोडना और दूसरेका अर्थ है समाधि-मनः स्थिरता । सामान्य रीतिसे योगका अर्थ संवन्ध करना तथा मानसिक स्थिरता करना इतना ही है, परंतु प्रसंग व प्रकरण के अनुसार उसके अनेक अर्थ हो जानेसे वह बहुरूपी बन जाता
है । इसी बहुरूपिताके कारण लोकमान्यको अपने गीतारह--- स्यमें गीताका तात्पर्य दिखानेके लिये योगशब्दानिर्णयकी
त भूमिका रचनी पड़ी है। परंतु योगदर्शनमें योग [अर्थ क्या है यह बतलानेके लिये उतनी गहराइमें की कोई आवश्यकता नहीं है, क्यों कि योगदर्शनविषसभी ग्रन्थों में जहां कहीं योग शब्द आया है वहां उसका ही अर्थ है, और उस अर्थका स्पष्टीकरण उस उस ग्रन्थमें १ युज़ंपी योगे गण ७ हेमचंद्र धातुपाठ. २ युजिंच समाधौ गण ४ , , " ३ देखो पृष्ठ ५५ से ६०