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भट्टारक संप्रदाय [५५१ - लेखांक ५५१ - बिजौलियामंदिर लेख
गुणभद्र श्रीमन्माथुरसंघेभूद् गुणभद्रो महामुनिः । कृता प्रशस्तिरेषा च कविकंठविभूषणा ॥ ८७ .. प्रसिद्धिमगमद्देवः काले विक्रमभास्वतः । षड्विंशद्वादशशते फाल्गुने कृष्णपक्षके ॥ ९१ तृतीयायां तिथौ वारे गुरौ तारे च हस्तके । धृतिनामनि योगे च करणे तैतिले तथा ॥ ९२
( भा. २१ पृ. २२) लेखांक ५५२ - देवी मूर्ति
ललितकीर्ति संवत् १२३४ वर्षे माघ सुदी ५ बुधे श्रीमान् माथुरसंघे पंडिताचार्य धर्मकीर्ति शिष्य ललितकीर्तिः । वर्धमानपुरान्वये सा. प्रामदेव भार्या प्राहिणी ॥
[ आमला Indian Culture वर्ष ११, पृ. १६८ ] लेखांक ५५३ – पदकर्मोपदेश
अमरकीर्ति बारह सयइ ससत्तचयालिहि विक्कमसंवच्छरहु विसालहि ॥ गणहि मि भदवयहु पक्खंतरि गुरुवारम्मि चउहसि वासरि ॥ इक्के मासे इहु सम्मियउ सई लिहियउ आलसु अवहत्थिउ ॥ परमेसर पइं गवरसभरिउ विरइयउ णेमिणाहहो चरिउ ॥ अण्णु वि चरित्तु सव्वत्थसहिउ पयडत्थु महावीरहो विहिउ ।। तीयउ चरित्त जसहर णिवास पद्धडिया बंधे किउ पयासु ॥ टिप्पणउ धम्मचरियहो पयडु तिह विरयउ जिह बुझेइ जडु ॥ सक्कयसिलोयविहि जणियदिहि गुंफियउ सुहासियरयणणिही धम्मोवएसचूडामणिक्खु तह झाणपईउ जि झाणसिक्खु ।। छक्कम्मुवएस सहु पबंध किय अहसंख सइ सञ्चसंध ॥ सक्कयपाइयकव्यय घणाई अवराई कियई रंजियजणाई॥
[ अ. ११ पृ. ४१४ ]
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