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स्थानांग को सूक्तियां
१. मुक्त होने वाली आत्माओ का वर्तमान अन्तिम देह का मरण ही एक
मरण होता है, और नही । २. एक अधर्म ही ऐसी विकृति है, जिससे आत्मा क्लेश पाता है ।
३ एक धर्म ही ऐसा पवित्र अनुष्ठान है, जिससे आत्मा की विशुद्धि होती है।
४ विश्व मे जो कुछ भी है, वह इन दो गन्दो मे समाया हुआ है-चेतन
और जड । ५. धर्म के दो रूप हैं-श्रु त धर्म तत्त्वज्ञान, और चारित्र धर्म-नैतिक
याचार ।
६ वन्वन के दो प्रकार हैं-प्रेम का वन्वन, और टेप का बन्धन ।
प्राणी किससे भय पाते है ? दुख से । दु.ख किसने किया है ? स्वय आत्मा ने, अपनी ही भूल से ।