________________
संयुत्तनिकाय की सूक्तियां
तेईस ५. जो आने वाले भविष्य के मनसूवे वांधते रहते हैं, वीते हुए का शोक
करते रहते हैं, वे अज्ञानी लोग वैसे ही सूखते जाते हैं, जैसे कि हरा
नरकट कट जाने के वाद । ६. पुत्र-जैसा कोई प्रिय नहीं है, गोधन-जैसा कोई धन नही है, सूर्य-जैसा
कोई प्रकाश नहीं है, समुद्र सबसे महान् सर (जलराशि) है ।' अपने आप-जैसा कोई प्रिय नहीं है, धान्य-जैसा कोई धन नहीं है, प्रज्ञाजैसा कोई प्रकाश नहीं है, वृष्टि सबसे महान जलराशि है ।
७. भार्याओ मे सेवा करने वाली भार्या श्रेष्ठ है, और पुत्रो मे वह जो
आज्ञाकारी है। कितने दिनो तक श्रामण्य (स.धुत्व) को पालेगा, यदि अपने चित्त को वश मे नही कर सका है । इच्छाओ के अधीन रहने वाला साधक पदपद पर फिसलता रहेगा।
८.
8. आवस । मैं प्रत्यक्ष वर्तमान को छोडकर दूर भविष्य के पीछे नही दौड़ता
१० यह धर्म देखते-ही-देखते तत्काल जीते जी फल देने वाला है, विना किसी
देरी के । जिस के बारे में कहा जा सकता है कि आओ और स्वय देख लो । जो ऊपर उठाने वाला है और जिसे प्रत्येक बुद्धिमान आदमी स्वय
प्रत्यक्ष कर सकता है। ११. काल छन्न है, का हुआ है, अत वह दीखता नही है।
१२ नही छूने वाले को नहीं छूता है, छूने वाले को ही छूता है। अर्थात्
जिसकी कर्म के प्रति प्रासक्ति नही है, उसको उस कर्म का विपाक (फल) नही लगता है, आसक्तिपूर्वक कर्म करने वाले को ही कमविपाक (फल) का स्पर्श होता है।
१-श्रावस्ती मे एक देवता की उक्ति । २-~प्रतिवचन मे तथागत बुद्ध की उक्ति ।