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सुत्तपिटक : संयुत्तनिकाय की सूक्तियां
१. जीवन वीत रहा है, आयु बहुत थोड़ी है, बुढापे से बचने का कोई
उपाय नहीं है । मृत्यु के इस भय को देखते हुए सुख देने वाले पुण्य कर्म कर लेने चाहिए।
२. समय गुजर रहा है, रातें बीत रही है, जिन्दगी के जमाने एक पर एक
निकल रहे हैं, मृत्यु के इस भय को देखते हुए सुख देने वाले पुण्य कर्म कर लेने चाहिए।
३. जिन्होने धर्मों को ठीक तरह जान लिया है, जो हर किसी मत पक्ष मे
वहकते नहीं हैं, वे सम्बुद्ध है, सब कुछ जानते है, विपम स्थिति मे भी उनका आचरण सम रहता है ।
४ बीते हुए का शोक नही करते, आने वाले भविष्य के मनसूवे नही बांधते,
जो मौजूद है, उसी से गुजारा करते है, इसी से साधको का चेहरा खिला रहता है।