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________________ [ ६१ - मुंहता नैणसीरी ख्यात __ अ तो न मान ।' कह्यो-'जी, भात्रीजो भुय भोगवै काकै बैठे ? यो तो मोनूं नीद नही आवै ।' राव गांगैजोनू कहाडियो-'सेवकीरो खेत्र म्हे बुहारियो छ । प्रांपै वेढ करस्यां । राव गांगै कह्यो-'ठीक छ । _हू छू जिसो हाजर छू।" राजि कह्यो-'सवारै लड़ाई छ । ताहरां गागनू जोसिये कह्यो-'राज सवारै तो जोगणी आपांनं - सांम्ही छै, उवानू पूठ छै।" ताहरां राव गागैजी राव जैतसीहजीनू पूछियो-'रावजो ! सवारै तो जोगणी आपार्ने साम्हा छै। उवांनू पूठी छ ।' ताहरां राव जैतसोजी कह्यो-'राज ! लड़ाई तो आपां सारै नही छ, उवा सारै छै । वे सवार हीज लडे छै ।' ताहरां चारण खेमो किनियो बोलियो-'राज ! जोगणी छ, पण योगणी असवार कांई छ ? ताहरां कह्यो-'जी, जोगणी सीह असवार छ।' कह्यो-'जी, बांभण बोलावो, पूछो, योगणी बीजैही वाहण' असवारी करै छ ?' ताहरा कह्यो बाभण-'योगणी सवारै काग13 असवार छै । ताहरां कह्यो-'काग सरांसू भाजि जाय ।14 लड़ाई माहै सर छै सु सेव गांगरे बिहु सरे भाजसी ।'15 यु करतां दिन ऊगो।" सरखेलखानरै एक हाथी छ, तिकणरो? दरियाजोईस नाम छै । तियैरै चाळीस हाथी एकै बगल18 चाळीस हाथो बीजो19 बगल । सु हाथी पाखरिया कर, लोह बांध, गरक किया छै । सु हाथी फोजरै मुहडै छै ।21 ___ अठासू राव गागौ अावै छै । राव गागौजी फोज वणाय सांम्हा आया। 1 प्रधान प्राये-गये, परतु ये नही मानते । 2 काकाके बैठे भतीजा धरती भोगता है, इस प्रकार तो मुझे नीद नही आती। 3 सेवकीमे रणक्षेत्र तैयार करा दिया है, अपन लडाई करेंगे। 4 मैं जैसा हू वैसा हाजर हू। 5 कल लडाई निश्चित है। 6 ज्योतिषियोने। 7 योगिनी अपने सामने है और उनको पीठकी ओर है। 8 लडाई तो अपने हाथमे नही है, उनके हाथमे है। 9 ब्राह्मण। 10 दूसरे भी। II वाहन । 12 कल (आने वाला) 13 कौमा। 14 कौआ वाणोसे भग जाता है। IS लडाई मे शर है सो सेखा और गागा दोनोके शरोसे भाग जायेंगे। 16 उदय हुआ। 17 जिसका। 18 वाजू। 19 दूसरी। 20 सो हाथियोके पाखर डाल कर लोहेसे गर्क कर दिये है। 21 वे हाथी फौजके आगे है। 22 यहाँसे, इधरसे ।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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