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________________ ६२ ] मुंहता नैणसीरो ख्यात सेखै दोलतखांनन कहो हुतो-'दीवांण भाज जास्यै ।' सवारै लोह वजाय सारै साथ हाथ दिखाया , त्यो दोलतखान कह्यो-'सेखाजी ! तुम कहते थे, वे भाजि जांहिगे। ताहरां सेखोजी बोलिया-'तो खांन साहिव । जोधपुर छै, यु क्युकर भाजै ?" ताहरां जाणियो-'चूक न छै ?'' मन माहे चमकियो दौलतखान । तितरै राव बोलियो-'कहो तो हाथीर सररी, कहो तो महावतेरै धु' सररी ?' हाथी आवै छै । महावत पुकारै छै । ताहरां दै महावतरै सररी, महावत पड़ियो। अर दूसरी दै हाथीरै कूभाथळ' मे सररी, अर हाथी भागो, अर दौलतखान ही भागो। अर सेखो मडियो। सेखो भाज न जाण ।' सात सै आदमियांसू सेखै पागडा छाडिया, अर वेढ हुई 110 सेखो बेटे सहित काम प्रायो। हरदास वेटै सूधो काम आयो । तुरक भागा । घणा मरिया । घणा पाछा वळिया ।12 सेखोजी खेतमे ससक छै ।13 ताहरां राव गागै पूछियो'सेखाजी ! धरती कैरी ?'14 ताहरा राव जैतसीहजी सेखैजी ऊपर छाह कराई 115 अमल करायो। पाणी पायो। ताहरा सेखंजी पूछियो-'तू कुण छ ?'17 ताहरा कह्यो-हू राव जैतसोह छू 118 ताहरा सेखै कह्यो-'रावजी । म्है थाहरौ कासू उजाडियो हुतौ ?19 म्हे तो काको भतीजो धरतीरे पगा विढता हुता।20 ताहरां सेखै कह्यो'जैतसीहजी | मो गत हुई छै, सो तो गत हसी ।21 यु करतां सेखैरो जीव नीसर गयो। 22 8 दीवान (राव) भाग जायगा। 2 दूसरे दिन तलवारें चला कर सभी साथने अच्छे हाथ दिखाये। 3 तुम कहते थे कि वे भाग जायेंगे। 4 खान साहिब । आगे जोधपुर है, यो कैसे भाग जायेंगे ? 5 तव ख्याल किया-कही घोखा न हो ? 6 दू । 7 कुभन्थन। 8 और तव मेतेने पाँव रोपे। 9 सेखा भागना नही जानता। 30 मान सो आदमियों के माथ मेखा घोडोंमे उतरा और लडाई की। 11 सहित। 12 बहुतसे मार दिये और बहुतने पीठ दिखा कर पीछे लौटे। 13 मेखोजी रणखेतमे सिसक रहे है। 1 घन्ती किनी ? 15 राव जैवसिंहजीने मेखोजीके ऊपर छाया करवाई। 16 अफीम दिया। 17 तू कौन है ? 18 मैं नव जतसिंह है। 19 मैंने तुम्हारा क्या विगाड किया गा। 20 हम तो काया भनीज अपनी जमीनके लिए लड रहे थे। 21 जैतनिहजी | मेरी जो गति हुई है यही गति प्रापनी होगी। 22 ऐमा कहते ही सेखाका जी निकल गया ।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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