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________________ ८८ ] मुहता नैणसीरी ख्यात ताहरा एक दिन लडाई हुई, सो वीरमजोरै असवारीरो घोडो हरदासन चढणन दियो हुतो, सु अठै हरदास नै घोड़ो बेऊ घावै पूर हुवा । ताहरां हरदासनू भाण उपाडियो, सोझत पहुचतो कियो।' हरदास सोझत पायो। घाव बधाया। ताहरां वीरमदे कह्यो-'जाह रे हरदास ! तं म्हारो पांच हजाररो घोडो वढायो । ताहरा हरदास कह्यो-'कुरजपूत ! म्है म्हारी पिंड ही वढायो ।' ताहरां हरदास विना घाव सारा हुवा रुसायनै हालियो।' वास छाडियो।' सरखेलखां दिसा हालियो । ताहरां सेखो सूजावत पीपाड रहै ।' ताहरा सेखो हरदासरै प्राडो फिरियो, कहियो-'कहसी, मारवाड माहै कोई रजपूत छै ही नही, जु हरदासरा घाव बधाया नही ?'10 ताहरां हरदास कहै'सेखा ! समझि पर मोनू राखै ?11 जो राव गागैसूं लडै तो मोनू राखै, नही तो मोनू मता राखै ।12 ताहरां सेखै कह्यो-'परमेश्वर भलां करसी, थे रहो। ताहरां हरदास पीपाड़ सेखैरै वास रह्यो। हिवे हरदासन सेखो च्यार पोहर मैहला माहै आलोच करै । 4 सु सेझरी वहुवां च्यार पोहर साड़ी ओढियां बैठी रहै । आछे कपड़े. सं सीयां मरै ।16 ताहरां एक दिन सेखैरी वहुवां कह्यो-'सासूजी ! म्हे तो सीयां मर गई।' ताहरां कह्यो-'बहू ! क्यु ?' कह्योसासूजी ! थाहरो” वेटो हरदासजीसू आलोच करै । म्हे चार पोहर I नो यहां हरदास और घोडा दोनो घायल हुए। 2 तव हरदासको भागने उठाया और सोजत पहुचा दिया। 3 घावोकी मरहम-पट्टी हुई। 4 जारे हरदास | तूने मेरे पांच हजारका घोड़ा कटवा दिया। 5 अरे कुक्षत्री । मैंने भी तो अपना शरीर कटवा दिवा है? 6 तब हरदाम घाव ठीक नहीं होने पर भी रिमा करके चल दिया। 7 वहा रहना छोड दिया। 8 सरखेलखांकी भोर चला। 9 सेखा सूजावत पीपाडमे - रहता है। 10 मेवा हरदामके ग्राडा फिरा और कहा कि 'लोग कहेंगे कि मारवाड़मे पोर्ड गणपून ही नही, जो हरदासके घाव नहीं बधाये गये। II सेखा | समझ करके मुझको रखना। 12 नहीं तो मुझे मत रखना। 13 परमेश्वर ठीक करेंगे, तुम रह जायो। 14 तव हरदास और मेखा रातको चारो ही पहर महलमे परामर्ग करते है। 15 सेते पी पलियां चारो पहर नाडिया पहनी हुई बैठी रहें। 16 महीन कपडे पहिने रहनेसे उदमें मग्नी हैं। 17 तुमारा ।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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