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________________ अथ वात हरदास ऊहड़री लिख्यते हरदास मोकळोतनू कोढणों सात-वीस गावांसू । तिको हरदास लाकड़ चाकरी न करै, दसराहै पाइनै सलाम करै ।' सु मालदेव कुंवर खोट सांसह नही, ताहरां भांणनू कोढणो दियो । ताहरां हरदास इसडी बलाय नही जो कोई इयन कहै । ताहरा चाकरी भाण करै, कोढणां हरदास भोगवै। यु करतां तीन वरस हुआ । ताहरां हुजदार लडिया, भाणरा नै हरदासरा। भांणरा हुजदारां कह्यो-'जी, थे ठकुराई करो। पण म्हानू कहो नांही। साबास, जु उतरियै पटै थानै गांम माहै रैहण देवां छां।" ताहरा हरदास सुणियो। कह्यो-'रे, कासू छै?" ताहरां कह्यो-'पटो थासू उतरियो।" ताहरां या वात सुणनै हरदास कह्यो-'रे, म्है बुरी वसत खाधी, उतरिय पटै हूं गाम माहै रहू ?1° ताहरां हरदास छाडियो । ताहरां जायनै सोझत रायमल मुह तैसूं मिळियो। हरदास वीरमदेरै वास वसियो। ताहरां हरदास रायमलनू कहै-'जे थे राव गांगैसू वेढ करो तो हू थांर रहीस, नहीं तो नही रहू ।12 ताहरां रायमल कह्यो-'जी, म्हारै तो पाठ पोहर लड़ाईज छै ।13। I हरदास मोकलोतको सात-बीस गावोके साथ कोढणा पट्टे मे दिया हुआ था। 2 हरदास इतना अक्खड कि चाकरीका काम नहीं करता, केवल दशहरेके दिन मुजरा करनेको ही पाता है। 3 सो कुवर मालदेव ऐसी भूलको सहन नहीं करता, उसने कोढरणो गावका पट्टा भाणको कर दिया। 4 परतु हरदास ऐसी बलाय कि यह बात उससे कहनेकी किसीकी हिम्मत नहीं होती। 5 तब भाण और हरदासके हुजदार परस्पर एक दिन लड पडे । 6 परतु हमको बात भी नही करो। 7 सावाश हमको है, जो पट्टा उतरने पर भी हम तुमको गावमे रहने देते है। 8 अरे | क्या बात है ? 9 कोढणाका पट्टा तुमारेसे उतर गया है। 10 यह बात सुन करके हरदासने कहा कि यह तो मैंने अखज खाया, जो पट्टा उतरने पर भी गाव मे रह रहा हूँ। II तव हरदास जाकर वीरमदेके यहा रहा। 12 यदि तुम राव गांगासे लडाई करो तो मैं तुमारे यहा रहू, नही तो नही रहूगा। 13 हमारे तो पाठो पहर उनसे लडाई चल ही रही है ।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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