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________________ मुहता नैणसीरी ख्यात । ६५ पण तू घोडीनू कासू करीस ?,' खेती वाहो, मैठा खावो । पण दीसै छ, घोडी लीवी छ तो धाड़ा करसी। ताहरां पाबूजी कह्यो'बूडेजीरै घोडी लेणी हुवै तो लो। अर थे मेहणो बोलो छो तो म्हे ई रजपूत छां, घोड़ो म्हानू ई चाहीजै छै । अर धाडैरी कहो छो तो डीडवांणैरी होज घोडिया ले आईस। इतरी पाबूजी कही, तद डोडगहेली कह्यो-'जी, इसा भाई तो म्हारा ई न छ सु थाने धाडो ले प्रावण दियै, का तो पहुच अर मारग मे ही राखै, अर जाणे बैहने ईरो भाई छै, मारै नही तो अँवळे....' 'पासवै रोवावै । ताहरा पाबूजी कह्यो-'म्हे राठोड छा, डोड कदै कोई राठोड़ मारियो सुणियौ हुतौ ?'' डीडवांण डोड राज करता तठै बूडोजी परणिया हुता। तद पावूजी भोजाईसू वाद करनै ऊठ डेरै आया। ताहरां चादैनूं बुलायो, कह्यो- 'चांदा ! आपां देवडार पछ जास्यां; पैहली डीडवांणरो धाड़ो लास्यां । ताहरां पाबूजी असवार हुवा । थोरी सातै10 भाई असवार हुवा। ताहरां चालिया चालिया डीडवाणैरै निजीक11 पाया । ताहरां पाबूजी तो एक थळ माथै तरकस नाखनै बैठा । घोड़ी कनै छोडी। अर थोरिया साढियांरो वरग लियो। तठे थोरियां सांढियानू चलाई। ताहरां रवारी डोडा प्रागै जाय पुकारियो। कह्यो-'राज ! सांढियां लीवी, वाहर चढो ।'15 ताहरा 1 परतु तू घोडीको करेगा क्या ? 2 खेती खडो और बैठे-बैठे खायो। २ परत दिखता है कि घोडी ली है तो अव धाडे मारेगा। 4 और जो तुम ताना मारती हो तो हम भी राजपूत है, घोडी हमको भी चाहिये । 5 और जो धाडे मारनेकी कह रही हो तो अव पहले डीडवानेकी ही घोडियां ले आऊगा। 6 ऐसे तो मेरे भाई भी नही है सो तुम्हे घाडा करके घोडिया ले पाने दे, या तो पीछे पहुच कर मार्गमे ही तुम्हें रख दें या यह जानकर कि बहनोईका भाई है, इसलिये मारे नहीं तो (ौंधी मुश्कोसे बांधकर) खूब रुलावे । 7 तव पाबूजी ने कहा- 'हम राठौड़ है, डोडोने कभी किसी राठौडको मार दिया हो; ऐसा कभी सुना था तुमने ? 8 डीडवानामे डोड राज्य करते थे वहा वूडोजी व्याहे थे । 9 चादा ! अपन देवडोके यहा पीछे जायेंगे, पहले डीडवानेका धाडा लायेगे। 10 मातो ही। 1 नजदीक । 12 तव पावूजी तो एक धोरे पर तरकश डालकर बैठ गये । -13 घोडीको पासमे छोड दिया । 14 और थोरियोने साढनियोका वर्ग छीन लिया। 15 साढनिया लेली है, पीछा करो ।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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