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________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात [ ५६ सीहणीनू चूधै छ। तद धांधळजी दीठौ; ताहरां अपछरा आपरो रूप कियो। पाबू टाबर हुवो। ताहरा धांधळजी महल भीतर गया। तोहरा अपछरा कह्यो-'राज ! म्हां थां सू कवल कियो हुतो जु 'जेही दिन था पीछी सभाळियौ जेही दिन हूं जाईस, सो हू जाऊं छु ।" इतरो कहिन अपछरा तो उड़ती हुई, सु आकास चढ गई। धाधळजी देखता ही रह्या। तठा पछै धांधळजी पाबूनै उठे हीज राखियो । धाय पास रही। और छोकरी हुती सु राखी। पछै धांधळजी तो कितरेक दिने देवलोक हुवा। ____ अर पाबू अर बूडो दोय बेटा । तद बूड़ोजी टीके बैठा । लोक चाकर सरब बूडैजीरा हुवा। पाबूजी पास कोई न रह्यौ। तदें धाधळजीरै बेटी दोय हुती, सु पेमाबाई तो जीदराव खीचीनूं परणाई । अर सोनाबाई देवड़े सीरोहीरै धणीनू परणाई ।' तद बूडोजी तो राज करै । अर पाबूजी वरस पांचेकमे, पण करामातीक । एकै सिकार चढियो एकै सांढ चढियो सिकार लावै । ईयै भात रहै।' _____ताहरां सात थोरी भाई, मा-जाया, चांदियो १, देवियो २, खापू ३, पेमलो ४, खलमल ५, खघारो ६. चासळ ७ । औ सात भाई सु औ आना वाघेलेरै चाकर।" सु आनैरै देस माहै काळ पड़े, तद थोरीए एक १ जिनावर वणासियो ।1 ताहरां अांनैरै कुवरनू खबर गई जु थोरिये जिनावर मारियो छ । ताहरां कुवर आयो। थोरियान ___1 और पाबू सिंहका रूप बन कर सिंहिनीको चूध रहा है। 2 तब धाधलजीने देखा। 3 पाबू बच्चेके रूपमे हो गया। 4 तव अप्सराने कहा-'राजन् । हमने तुमसे कौल करवाया था कि जिस दिन तुमने मेरा भेद जानने की कोशिश की उस दिन मैं चली जाऊगी, सो मैं जा रही है। 5 और एक दासी थी जिसको पासमे रखा। 6 प्रजा और सेवकादि सव बड़ेजीके अधीन हुए। 7 धाधलजीके दो कन्याएँ थी; एक ऐमाबाई जिसको जीदराव खीचीको व्याही और दूसरी सोनाबाई जिसे सिरोहीके स्वामी देवडेको व्याही। 8 करामाती। -अकेला और अपनी एक ही ऊटिनी पर चढ कर शिकार लाता है, इस प्रकार वीरताके काम करता है। 10 ये सातो भाई आना वाघेलाके यहा चाकर। II सो आनाके देशमे दुकाल पड़ जाता है, उस दुकालमे थोरियोने एक दिन एक जानवरको मार दिया।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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