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________________ अथ वात पाबूजीरी लिख्यते धाधळजी महेवै रहै। सु उठसू छोड़ अर अठ पाटणरै तळाव प्राय उतरिया।' सु अठ तळाव ऊपर अपछरा उतरै । ताहरा धाधळजीरा डेरा थकां अपछरा उतरी। ताहरां धाधळजी अपछरावा देखनै एकै अपछरानू आपड राखी। ताहरां अपछरा बोली-'वडा रजपूत ! ते बुरो कियो । मो अपछरानै अापडणी न हुती।" ताहरा धाधळजी कही-'तू म्हारै घरवास रहि । तद अपछरा बोली। कही-'जे थे म्हारो पोछो सभाळियो तो जाईस ।" ताहरा धाधळजी कही-'थारो पोछो कोई सभाळां नही ।' ए बोल करनै रही ।' नै उठे पाटणसू चालिया सु अठ कोळू पाया। अठ पमो घोरधार राज करै। ताहरा धांधळजी पमै पास तो न गया । अर कोळू आया, गाडा छोडिया, तठे रहै । यू करता अपछरार पेटरा दोय टावर हुग्रा-एक बेटी, एक बेटो। बेटीरो नाम तो सोनाबाई, बेटारो नाम पाबूजी। तद अपछरारो महल एकात कियो। उठे अपछरा रहै । धाघळजी अपछरा घरै नित जावै। ___ तद एक दिन धांधळजी विचारियो-'देखां, अपछरा कह्यो हुँतो, म्हारो पीछो मती सभाळजे, सु आज तो जायनै देखीस, देखा, कासू करै छै ?'11 ताहरां पाछले पोहर धाधळजी अपछरारै महल गया। तठे आगै अपछरा तो सीहणीरै12 रूप हुई छ, अर पावू सीहरै रूप 1 सो वहां (महेव) से रवाना होकर पाटनके तालाव पर आकर ठहरे। 2 जव वधिलजीके डेरे तालाव पर लगे हुए थे उस समय वही अप्सराएँ उतरी 3 एक अप्सराको 'पकड कर रख लिया। 4 मुझ अप्सराको पकडना नही था। 5 तू मेरे घर वास (पत्नी रूपमे) रह। 6 जो तुमने मेरा पीछा किया (भेद जानना चाहा) तो मैं चली जाऊगी। ये कौल करके धाधलजीके साथ रह गई। 8 जिस जगह कोलूमे गाडे छोडे थे, वही रह रहे। 9 इस प्रकार अप्सराकी कोखसे दो बच्चे उत्पन्न हुए~-एक लडकी और एक लडका। 10 तव अप्सराका महल एकान्तमै बनवाया। II तव एक दिन धाधलजीने विचार किया कि अप्सराने कहा था कि मेरा भेद जाननेकी कोशिश नहीं करना, परतु आज तो जाकर देखूगा कि वह क्या कर रही है ? 12 सिंहिनी। .
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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