________________
मुंहता नेणसीरी ख्यात
[ ४७
2
4
6
ताहरां को - 'ठाकुरे ! म्हे खेतसीह पावा ।" कहियो - 'खेतसीह तो नहीं पावौ । पण खेतसीहरो भाई जगौ चूडावत, सात वोस गामारी धणी, 3 म्रिगासर परणीजणनू प्रायो छे, सु - जावी, जगौ थांहरै हाथ ग्रावसी ।" इयां दोय से ग्रसवारां खड़िया । " पण खेतसीह तो पैहली जगै कनै' प्रायो, प्रायनै कहियो - 'मै सगरौ वालीसौ मारियो; और बालीसा सारा ही छै, सो हालो' आपां कूभळमेर जावां ।' ये चढि र घाटो उतरिया । 10 असवार औ पाछै आया। आयनै ऊभा रहिया । " मारे किणनू ? 12 कहियो - 11 'ठाकुरे ! अठै जगो न प्रायो हुतौ ? म्हे न्यौतिहार आया छा । 13 कहियो - 'जी, खेतसीह सगरी बालीसी मारियो, सु जगैनू ले र कुभळमेररै घाटै उतरिया ।'
8
ताहरां ग्रै असवार पाछा आया । आयनै देखें तो सगरौ तोरण नीचे पडियो छे । ताहरा को - 'जी, सती हुवी, सगरैनू लेने | 24 सतीनू कहौ जु बाहिर आवै, ज्यु सगरैनू दाग देवा । " ताहरां वीदणीनू भीतर जाय कहियो । ताहरां वीदणी कह्यो - 'खेतसीह मारियो
1
16
117
18
हव तो हूं सती न हवू । 1" सगरैनू घीसने नाख देवौ । ” पाछे प्रायने कहियो - 'जी, संभै नही ।" ताहरां कहियो - 'जी, म्है एकलै ही सगरैनू बाळा ?" तो कही - 'म्हे प्रणसंभाही ही सती करा ? '20 ताहरां कह्यो– 'आवौ बारै ।" ताहरां जांनी ही सिलह पहरै छै, मांढी ही सिलह पहरे छे । बेहुं हथियार बांधे छै, सिलह पैहरीजै छ
21
22
। "
10 ये चढ करके
हमे खेतसिंह मिलना चाहिये । 2 सत्ताइस ( १४० १ ) 13 स्वामी । 4 मृगासंर गावमे व्याहनेको श्राया है। 5 जगा तुम्हारे हाथ आ जायेगा । 6 ये दोय सौ सवारोके साथ चले । 7 पास । 8 और सभी वालीसे यहा है । 9 चलो । घाटी पार हो गये । II आ करके खडे रहे । 12 किसको मारे ? होकर आये है । 14 तब कहा कि सगरेको ले करके सती हो । 15 16 तव दुल्हिनने कहा – इसे खेतसिंहने मारा है प्रत मै श्रव 17 सगरेको घसीट कर फेंक दो हम अकेले ही सगरे को जलायें ? व्याही हुई) को भी सती कर दें ? 22 तव वराती भी सिलह पहिन रहे
13 हम निमंत्रित तो सगरेको जला दें ।
।
सती नही होऊगी | 18 तैयार नही हो रही है । 19 तब कहा कि क्या 20 तो उत्तर दिया कि क्या हम
विना तैयार हुई ( विना 21 तब कहा - लड़नेके लिये बाहर आ जाओ । हैं और माढी ( कन्या पक्ष वाले) सिलह पहिन रहे है । दोनो र शस्त्र बाघे जा रहे है और सिलह पहिने जा रहे है |