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अथ वात खेतसीह रतनसीहोत सीसोदियै चूडातरी लिख्यते
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रतनसी नाढावत सीधळ, सीधळावटीरो गांम जाखोरो, तिण मांहै रहै।' तेरे बेटी मोटी हुई । " ताहरां कह्यो - 'राज ! नाळेर मेलो। " तो कह्यो - "रावळ रतनसीहरो बेटो खेतसीह छै, तैनू नाळेर मेलो । * अर भांनो सोनगरो वीदणीरें" मामो हुवै तिकैनू को - 'भाना ! जानो, नाळेर रावत रतनसीहरै बेर्ट खेतसीहनै देराडिज्यो ।" ताहसं भांने कह्यो - ' वाह वाह ! रावत साहिबीरो धणी छै । आज तो भूखो छं; पण साहिबी छै ।' नाळेर खेतसीहनू भलायो । पनरै दिनांरो साहो थापियो । ब्राह्मणानू सीख दीवी | 10
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रावत तो बेटैसू बुरो हुतो, अर खेतसीहरै घरमें क्यु देणनै हुतो नही । 1 सुब्राह्मणांनू दियो क्युही नही । ताहरा ब्राह्मणां कह्यो - 'बाबा ! घरमे उरमे ऊंदरा थिड़ी करै छ । 12 भूखा मरे छे । ' 'तो कहियो'म्हारी दीकरी भूख मे दईस ? 12 हूं कुवै पड़ पण देवू नही | 25
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ताहरां सगरो बालीसो सूरजमल बालीसैरो बेटो, उवैनू पनरे दिनांरो साहो थापि नाळेर मेलियो । " ताह। बालीसां जानरी तैयारी कीवी ।" ग्रठे भांने सौनगरे कह्यो - 'रावनजी ! साहो नैड़ो प्रायो,
I सीधल रतनसी नाढावत, सीधलावाटीके गाव जाखोरोमे रहता है । 22 उसके एक वेटी है जो वयस्क हो गई । 3 तब कहा - श्रीमान् | इसके विवाह सम्बन्ध के लिये कही नारियल भेजिये | 4 रावल रतनसिंहका बेटा खेतसिंह है उसको नारियल भेजिये । S दुलहिन । 6 जिसको । 7 भाना । जाओ और यह नारियल रावत रतनसिंहके वेटे खेतसिंहको दिलवा देना । 8 ग्रहरण करवाया, दिया । 9 पन्द्रह दिनो (के वाद ) का लग्न निश्चित किया । 10 ब्राह्मणोको रवाना किया । II रावत तो बेटेसे नाराज था प्रोर खेतसिंहके घरमे देनेको कुछ था नही । 13 भूखो मरते है । गरीवी भुगतते है । 4 मेरी लडकी क्या में ऐसे दरिद्रावस्था वालेको दूगा 15 में कुएंमे पड जाऊ परतु ऐसे को नही दूं । 16 तब सूरजमल वालीसेके लडके मगरा वालीसेको पन्द्रह दिनोका लग्न निश्चित कर नारियल भेजा । वालीसोने बारात की तैयारी की ।
12 घरमे-वरमें तो चूहे थिडी करते हैं ।
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17 तव