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________________ मुहता नैणसीरो ख्यात [ २६१ वरी परणी, सु म्हे तो मूळूनू मारसिया ।' बेटी किणी बीजैनू परणाविस्या । ताहरां राजा वीसळदे कह्यो-'थे जांणो। ताहरा झै दोनू ही मूळ ऊपर आया। आयनै कह्यो-'मूळ ! सभाय ।" ताहरा मूळ सोळ कणीन कह्यो-'जु तैसौ ऊबरू । ताहरा सोळकणो कह्यो-'हू हाजर छू।' तद मूळू कह्यो-'थांरा कपडा देवो ।' ताहरां मूळू जनाना कपडा पहर ऊभो रह्यो। ताहरां सोळकणी परधानांनू कह्यो-'जु म्हनै तो नीसरण देवो।" ताहरां गोरो वादळ दूर हुवा । मूळू नीसर गयो ।' सोळकणी भीतर किंवाड कुलफ कर लिया । गोरो वादळ किंवाड़रै बारै प्राण ऊभा रह्या ।' मळ तो जाय घोड़े चढ चालतो हुवो। इंयां किवाड खोलिया, तो भीतर सोळंकणी बैठी छै । ताहरा हाथ पीट ऊभा रह्या ।11 मूळ घरै गयो ! पछै मास २ दोयरो सोळकणीरै पेट आधान रह्यो मळूरो। ताहरा सोळंकणीनू परणावणी मांडी । सो जियेनू देवै सु कोई लेवै नही । ताहरां सांवतसिंघ सोनगरै जाळोररै धणी लोवी। ताहरां परणोय दीवी ।" ताहरां मूळू कह्यो-म्हारो वैर सोळकियांसू चूको जु ईयां वेटी परणाई। हमै मूळूरो वैर सोनगरांसू बाधो । ताहरा _I हमारेसे तो यह बात सहन नहीं की जाती कि तुमारी वेटीको मूलूने जोरावरीसे व्याह ली। सो हम तो मूलूको मार देंगे। 2 आपकी बेटी किसी दूसरेको व्याहेंगे। 3 तो तुम जानो। 4 तव ये दोनो मूलूके ऊपर पाये और कहा कि मूल सम्हल जाओ। 5 मूलने सोलकिनीको कहा कि अब तो तेरे बचाये ही वच सकता है। 6 मुझे तो निकलने दो। 7 मूलू निकल गया। 8 सोलकिनीने भीतरसे किंवाड ताला लगा कर वद कर दिये। 9 गोरा और वादल किंवाडके वाहिरकी ओर पाकर खडे रहे। 10 इन्होने किंवाड खोले तो भीतर तो सोलकिनी बैठी है। II तब ये हाथ पीट कर खडे रहे। 12 सोलकिनीको जव मूलका गर्भ दो मासका हो गया था, तब सोलकिनीका विवाह (पुनर्लग्न) करने लगे। 13 सो जिसको देनेका विचार करे वह उसे लेना स्वीकार नहीं करे। 14 तब जालोरके स्वामी सावतसिंह सोनगरेने लेना स्वीकार किया। उसके साथ उसका विवाह (पुनर्लग्न) कर दिया। 15 मूलूने कहा कि सोलकियोसे मेरा वैर चुकता हो गया क्योकि उन्होने तो अपनी बेटी मुझे व्याह दी। 16 अव मूलूका बैर सोनगरोसे बंधा। .
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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