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________________ आदिदास्त जद प्राक्तखां नै मोहबतखां रीसायो, तद कह्यो-'तू खबर पोंहचावै छ ।'1 'प्राकृतखां पण दीठो-'गढ जावै ।' तद नीसर गयो । पछै दिन ५६ हुवा, तद दोपहररो नगारो देयनै चढियो । राव दूदैतूं लड़ाई कीवी । सु राव दूदो काम आयो । अर प्राकृतखां पण कांम आयो, घड़ी ५ तथा ६ दिन वांसलै थकै ।। खेलूजी मालूजी आया तद अाकूतखां प्रायो, तद अठेहीज आयो।' खांनखांना पर्छ अकबर पातसाहरै दीवाण सेख फरीद हुवो।। जहांगीर पातसाहनू प्रयागसू बुलायनै पातसाही दीवी, घडी दोय तद दीवांण हुवो।' पछ वरस दोय खानखाना हुवो। वरस २ दोय करनै, सु तोडरमल मरतो कहि गयो थो सु दफतर जोवाड़ियो।' खेलूजी मालूजी कनड़रा पाहाड मांहै कोळी रहै, त्यांरा चाकर हुता । तद मलबर कह्यो-'जु यां कोळियांनू मारो तो आ धरती थांनू देवां। ताहरां खेलूजी मालूजी कोळियांन मारने वा सारी ही धरती लीवी। पछै आकूतखां तद आइ मिळियो । पछै औ ही प्राय मिळिया।12 I जब याकूता और मोहवतखा परस्पर नाराज हो गये तव कहा कि तू खबर पहुचाता है। 2 याकूतखाने देखा कि गढ जा रहा है, तब वहासे निकल गया। 3 तव दुपहरको नगाडा वजवा कर चढा। 4 पाच-छ. घडी पिछला दिन शेष था तव याकूतखा भी काम अाया। 5 खेलूजी और मालूजी आये, तब याकूतखां भी यहा ही आ गया। 6 खानखानाके वाद अकबर बादशाहका दीवान शेख फरीद हुआ। 7 उसके समय केवल २ घडी दीवान रहा। 8 दो वर्ष तक खानखाना रहा। 9 दो वर्षके वाद टोडरमलने मरते समय कहा था, उस दफ्तरको ढुढवाया [ 10 खेलूजी मालूजी कनडके पहाडोमे रहने वाले कोलियोके चाकर थे। II मलिक अवरने इनसे कहा कि यदि तुम इन कोलियो को मार दो तो इनकी यह धरती तुमको देदू। 12 फिर याकूतखा भी पा मिला और उसके बाद ये भी पा मिले ।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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