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________________ २७२ ] मुहता नैणसीरी ख्यात ही मारस्या। जिस. तू इसडा रजपूत जोडीस, तितरै म्हे परहा नीसर जावस्यां । हिवै दूदा तू जाह। म्हे तोनू मारां नही। म्हे थारै बापरा रजपूत छां, तैसू काई न करां छा ।' ___ ताहरां दूदो तो चढनै बूदी गयो। हमीर सुखसौ घरै वैठे राज कियो। जाहरा कितरैहेके वरसै दूदो रामसरण हुवो, ताहरां भोज बूदो आयो । भोजनू पातसाह धरती दीधी। भोज देस मांहै आयो, ताहरा भोज, गौडां ने दहियारो वैर भागो। गोपाळदास गौड़ दहिय परणायो। वैर भागो।' भोज अमरावांरा वैर दहियांसू भजाया । देस माहै वडो चैन हुवो। ॥ इति दूर्द भोजरी वात सपूर्ण ॥ शुभ ।। * दूदाके मरनेके वाद उसका भाई भोज बूदीका शासक बना। इसने २२ वर्ष राज्य किया। यह वडा वीर था। अहमदनगरकी प्रसिद्ध वीरागना चादवीवीसे लड कर इसने अह्मदनगर पर विजय प्राप्त की थी। इसीलिये वादशाहने एक बुर्जका नाम 'भोज वुर्ज' रखा था। चादवीवी इस युद्ध मे अपनी सैकडो सैनिकायोके साथ वीरगतिको प्राप्त हुई। इसकी रूपवती कन्याको बादशाह अकदरने मागा था । तव उसने बिना सगाई किये हुए ही सिवानेके वीर राठौड राव कल्ला रायमलोतके साथ सगाई कर दी है, का कह दिया। इस पर वादशाहने कल्लाको सगाई छोड देनेको कहा । कल्लाने भोजके धर्म सकटको अपने ऊपर लेकर सगाई छोड देना स्वीकार नहीं किया और उसके साथ विवाह कर लिया । अक्वर कल्लासे बहुत विगडा और उसने सिवाने पर आक्रमण कर दिया। राव कल्ला बडी वीरतासे लड कर काम श्राया। भोजने अपनी दोहिती (आमेरके राजा जगतसिंहकी पुत्री)का विवाह जहागीरके साथ करने के प्रस्तावको भी अटका दिया था। इसलिये जहागीर भी इससे नाराज हो गया था। ___I अव दूदा तू चला जा नही तो तेरेको भी मार देगे। 2 जितनेमे तू ऐसे राजपूतोको जोडनेका प्रयत्न करेगा, इतनेमे तो हम दूर निकल जायेंगे। 3 हम तुमारे बापके राजपूत है, इमलिये अब तेरे माथ कुछ नहीं करते । 4 तव कितनेक वर्षोंके बाद दूदा जब मर गया। 5 दहियोने गोपालदास गौडको व्याह दिया तव वैर मिट गया। 6 दहियोंसे जो उमरावोली गत्रुता चलती थी उसे भोजने मिटा दिया।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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