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________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात [ २६५ दीनो 11 देव ऊठियां पछै बांभण मूकां छा।' वेगा पधारजो ज्यु परणावा । वैर वाढ अर ऊदोजी आपरै घरे आया छ । सखरा दिन हुवा ताहरां बाभण मेल्हन मेळ जीरै बेटेनू तेड़नै परणायो छै । वैर भागो छै । इति ऊदैजीरी वात सपूर्ण । Common - - I सिख रेजीकी बेटी मेले जीके बेटेको दी (वाग्दान-मवध कर दिया) (प० २६४की टिप्पणी संख्या १८, अतिम पक्ति डिलीट समझे) 2 देव उठ जानेके बाद (कार्तिक शु. ११के देवोत्थान पर्वके बाद) ब्राह्मणको भेजते है। 3 जल्दी पधारना सो व्याह देगे। 4 वैर मिटा कर ऊदोजी अपने घर आये है। 5 (वर्षा ऋतु मिट कर) अच्छे दिन हो गये तब ब्राह्मणको भेज मेलेजीके बेटेको बुला कर विवाह कर दिया। 6 शत्रुता मिट गई है।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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