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________________ २५८ ] मुहता नैणमोरी ख्यात जाने ईहडदे जागविया । कह्यो - 'जी | ऊदोजी प्राया ।' ताहरां बारणो खोल माहे लिया । ढोलियो बिछाय दियो । ऊदोजी जाय पोढिया । 1 4 5 घोडी हुती सु काय कीवी ऊभी हीज रही । कायजो उखेलियो नही । वीसर गया ।" ताहरा ऊदोजीरो साळो जागियो | देख तो घोड़ी छ । प्रोळखी तो घोडी ऊदोजीरी । ताहरां ऊठनै घोड़ी पकडी दीठो - 'जायन पायगा माहे बाधू ।' ताहरा घोड़ी लेअर हालियो । जिसड़े घोडी ताणियां जाय छै, तिसड़े ऊदोजी जागिया ।" दीठो'घोडी चोर लिया जाय छे ।' जांणियो - 'भाद्राजण मांहै चोर घणा छै ।' वासांसू ऊदैजी तरवार काढ अर वाही सु बिधड़ हुआ । तितरं ओळगाणी जागी । कह्यो- 'जी ! कासू कियो ? म्हारो भाई मारियो ?” ताहरां ऊदैजी कह्यो - 'जो हुई सो हुई ।' ताहरां सासू जागवी । कह्यो-'जी, थे जायनें पोढो । हुवणहार हुई ।' आगे सीधळासूं वैर हुतो, हिव साळो मारियो, हिवं वैर वधियो ।' ताहरां ऊदैजी तो पाछली रातरा चढ परताळिया सो घरे गया 110 8 9 ताहरां मेळो सेपटो भाद्राजणरै काठ रहै । सु मेरो नायण एक दिन हड सोळकीरै घरे गई हुती । सु उठे ऊदैरी वैर सोळकणी दीठी | 12 नायण सिनांना करायो । ताहरा नायण जायने मेळेनू वात कही- 'जु ईहडरी बेटी पदमणी छै । मेळाजी | आप लायक छै । इसी नारी फूटरी कठै ही नही दोठी 13 ताहरां मेळे भाद्राजणमे श्रायने 1 लेकर चला । I सरगरेने ग्रागे जा कर ईहड़देको जगाया और कहा कि ऊदाजी प्राये है । तव द्वार खोल करके ऊदाजीको श्रदर लिया और पलग विछा दिया । ऊदोजी जाकर सो गये । 2 घोडी कायजा की हुई ही खडी रही । कायजा खोलना भूल गये । 3 पहिचान की तो घोड़ी ऊदोजी की मालूम हुई 4 तव घोडी खँचे हुए जा रहा है त्यो ही ऊदोजी जग गये । कर प्रहार किया सो धडके दो टुकडे हो गए यह क्या किया ? मेरे भाईको मार दिया ? शत्रुता थी ही, व मालेको मार दिया, अव तो पिछली रातको (घोडी पर ) चढ कर फटकारा सो घरको चले गये । के पास मेला सेपटा रहता है । 12 सो वहा ऊदेकी स्त्री सोलकिनीको उसने देखा । 13 ऐसी सुन्दर स्त्री कही नही देखी । । 5 ज्यो ही घोडी 6 पीछे जाकर ऊदाजीने तलवार निकाल 7 इतनेमे वियोगिनी जगी तो कहा कि जग गई, ( जगाई गई) । तो वैर और बढ़ गया । 8 9 आगे सीधलोंसे 10 तब ऊदोजीने 11 भाद्राजुन
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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