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।। श्री गणेशाय नमः ॥
अथ वात ऊदै ऊगमणावतरी ऊदो ऊगमणावत इंदो' महेवै रावळ मलीनाथजीरी चाकरी करें । तद वाघ १ गोयांणारै भाखरां रहै सो देस मांहै विगाड़ करै।' ताहरां रावळजी रजपूतांन हुकम दियो-'चौकी घो।' ताहरां रजपूत चौकी दै, गोयाणारै डूगर दोळी । _____ ताहरां एक दिन ऊदैजीरी चौकीरी वारी आई। ताहरां ऊदैजीनू कहाडियो । ताहरां ऊदैजी कह्यो-'भलां राज ! ताहरां ऊदो गयो। भाखर रोकियो । घेरनै वाघ पकड़ियो ।' आणनै रावळजीनू सापियो ।” ताहरा रावळजी कह्यो-'सैबास ! ऊदा सैबास !!' ताहरां वाघ रावळजी ऊदैनू बगसियो । ताहरां ऊदै लियो। लेयनै गळटो कर बांधिनै छोडियो । कह्यो-जी, वाघ माहरो छ । जिको ईयैनं मारै तो तीयेसू मांहरो वैर छ । ताहरां वाघ फिरै, विगाड करै । कोई वाघ मारै नहीं। ताहरां वाघ फिरता-फिरता भाद्राजण जाय निकळियो।'
ताहरां भाद्राजण सीधळां वाघ मारियो । तठे वैर हुवो। ईदा नै सीधळां माहोमांह वैर हुवो।° सीधळां इंदां लड़ाई हुई। सीधळ २५ कांम अाया। हिवै वैर पड़ियो ।11 भाद्राजण अर चौरासीरो मारग भागो। कोई मारग वहै नहीं। इसो वैर पडियो ।12
1 ईदा शाखाका ऊगमडेका बेटा ऊदा। 2 तव वाघ १ गोयणाके पहाडमे रहता है सो देशमे विगाड़ करता है । (गोयणा' मालानीके मेहवे और राडघरेका एक पहाड है जो भीतरसे खोखला बताया जाता है ।) 3 तब राजपूत गोयामणाके पहाडके चारो ओर चौकी देते हैं। 4 कहलवाया। 5 अच्छी बात है श्रीमान् । 6 पहाडको घेरा लगा करके रोक दिया और बाघको पकड लिया। 7 ला करके रावलजीके सुपुर्द कर दियो। 8 लेकरके गलेमे कपडा लपेट और बाघ करके छोड दिया और कहा कि यह वाघ मेरा है जो इसको मारेगा उससे मेरी दुश्मनी है। 9 तव बाघ फिरता-फिरता भाद्राजुन जा निकला। 10 तव भाद्राजुनमे सीधलोने वाघको मार दिया । ई दो और सीधलोके वापस में पात्रता हो गई। II अब शत्रुता और चेत गई। 12 भाद्राजुन अोर चौरासी (भाद्राजुनके ८४ गांवोका समूह) का मार्ग बन्द हो गया । कोई मार्ग चलता नही। ऐसी शता बंध गई।