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________________ २४६ ] मुहता नैणसीरी ख्यात दिये सिवै छाप्रोत बहोत साहिबी पाई । सिवैथी चंद्रावतारी साख ठकुराई हुई । 2 सिवै गांव १४००सूं प्रांतरी सिवो राव कहाणी | परगनो पायो । १. राव सिवो । 7 २. राव रायमल । ३. राव अचळो । 3 इतरी पीढी तो आतरी राज हुतो ।' पछै प्रचÖरो बेटो दुरगो टीकै बैठो । तिण राव दुरगे कसबो नवो वसायो नै श्री रामचद्रजीरं नांमसूं रामपुरो ठाकुरांरं हेत नांम दियो । राव वडो देसोत हुआ । राव दुरगो वडो दातार हुन । चंद्रावतारै घर मांहै वडो कारणीक ठाकुर हुन । हिवै चंद्रावतारं पाटवीरो राजथान रामपुरै छै । " रामपुरो वडी ठोड़ । सारी धरती दुफसळी छै । वडी जरायत धरती ।' 6 5 7 1 शिवासे चन्द्रावत शाखाकी ठकुराई हुई । 2 इतनी ( शिवा, रायमल श्रीर श्रचळा - ये तीन ) पीढी तक तो प्रातरी मे राज्य रहा । 3 राव दुर्गाने नया कस्वा घसाया और श्रीरामचन्द्रजीके नाम पर श्रीठाकुरजी श्रीरामचन्द्रजीके हेतु ( अर्पण करके) उसका नाम रामपुरा दिया । 4 देशपति । 5 चन्द्रावतोके घरमे राव दुर्गा वडा प्रतिष्ठित ( प्रामाणिक ) ठाकुर हुया | 6 ग्रव चन्द्रावतोंके पाटवी श्रधिपतियोकी राजधानी रामपुरा है । 17 खेती के लिए बहुत वढिया धरती । खेती । २ खेतीको भूमि । ३ कृषिकी बहुत बढिया भूमि । ४ पुष्कल वर्षा होने वाली कृषि योग्य भूमि । जरावत का विपरीत वागायत है । बागकी होती है ।) (जिराअत = १ द्वारा सिंचित सीचाई कु एसे 1
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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