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मुहता नैणसीरी ख्यात गयो । उठ जायनै साहिजादीनू सलाम कही। कह्यो-'कुण हुकम छ ?' तर साहिजादी कह्यो-'तू माहरो भाई छै नै हू थारी बहन छू । मोनू तू लेयनै नीसर गयो तो, तो सारोखो कोई नही ।
ताहरां सिवो साहिजादीरै निजीक गयो। जायनै कह्यो-'बाईजी सलामत ! म्हारै खवै हाथ द्यो ज्या हू राजनू लेयनै नीसरू ।' ताहरां साहजादी खत्रो झालियो। सिवो नदी तिरनै साहजादीनू ले नीसरियो । सारै वधाई वांटी ।' साहजादी सिवैसू बहोत राजी हुई। वहोत वधाई दीवी । घोड़ो सिरोपाव दियो।
सिवानू साहजादी कह्यो-'तू म्हारो भाई छै। तू म्हां साथै माडव आवै तो तोनू पातसाहजीसू अरज करनै मुनसब दिराऊं।" तिण ऊपर सिवै ही दीठो'-'मोसू साहजादी मया करै छै । म्है खिजमत रूडी करी छै। जाऊ तो पाऊ। तिण ऊपर सिवै ही साथै श्रावणो कबूल कियो।
घरे जायनै दस माणस आपरा लेयनै अायकर भेळो हो । साहिजादी साथै हुरो जोय । खावण-पीवणन रोजीनो कर दियो। बीजो ही माहेसू इनामरो पण क्युहेक मेल्है । सु साहिजादी चालो मांडव गई । उठे जायनै साहिजादी सिसोदिया सिवारो सैमान कराय दियो । नै पातसाहजीसू मालम कियो-'पातसाह सलामत ! मोनू नदी माहैसू वूडतीनू एकै सिसोदिय रांणारै भाई काढी छै ।12 तिणन म्है भाई कहि बोलायो छै, सु हजरत उसकू पावां लगावो नै चाकर करो ।'13 तिण ऊपर पातसाहजो फुरमायो-'प्राय पावां लागो ।'14 ताहरा सिवानू पांवां लगायो ।
मेरे लिए क्या प्राजा है ? 2 मुझको लेकरके बाहर निकल गया तो तेरे समान कोई (उपकारी) नही। 3 मेरे कवे पर हाथ दे दो (मेरा कघा पकडलो) सो मैं आपको लेकर बाहर निकल जाऊ। 4 तव शाहजादीने करा पकड लिया। 5 सवने वधाइया वाटी। 6 बहुत उपहार दिया । 7 तू मेरे साथ माडवको पाये तो वादशाहसे अर्ज करके तेरेखो मनमव दिलवाऊ। 8 इस पर शिवाने ही देखा (मोचा)। मेरे पर शाहजादी कृपा कर रही है, मैने भी अच्टी सेवा की है । साथमे जाक तो प्राप्त करू । 10 दाहजादी नाथ होकर जा रहा है। I साने-पीने के लिए रोजाना निश्चित कर दिया। 12 वादगाह सलामत ! मुझको नदी मे टूवती हुईको राणाके भाई एक शिशोदियाने बाहर निकाला। 13 उमको मैंने अपना भाई कहा है सो हजरत उसे अपने पावो लगाये और अपना चाकर वनाएं। 14 पाकरके पावां लगे।