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________________ किसनगढरी विगत राजा प्रतापसिंघ । उदोतसिघ उमेदसिंघोतरो दोहीतो। साहपुरारै राजावतारो। . राजा विरदसिंघ । सुखसिंघ सूरजमलोतरो दोहीतो । फतहगढ गौड । राजा वहादुरसिंघ । उदैसिंघ कीरतसिंघोतरो दोहीतरो। कांबा राजावत । राजा राजसिघ । हरीसिंघ जसवंतसिघोतरो दोहीतरो। देवळिय सीसोदियारो। राजा मानसिघ । बलू सांवतसिघोतरो दोहीतो। साचोरा चहुवांणांरो।' राजा रूपसिघ । हरीराम रायसलोतरो दोहीतो। सेखावत खडेलारा । राजा भारमल । दयाळदास खेतसीमोतरो दोहीतरो। जेसळमेर भाटियांरो।' राजा किसनसिंघ । प्रासकरण भीमावतरो दाहीतो। नरवरगढ कछवाहा ।' - - I राजा प्रतापसिंह-शाहपुराके राजावत उद्योतसिंह उम्मेदसिंहोतका दोहिता। 2 राजा विरुदसिंह-फतहगढ के गौड सुखसिंह सूरजमलोतका दोहिता। 3 राजा बहादुरसिंह-काबाके राजावत उदयसिंह कीरतसिंहोतका दोहिता। 4 राजा राजसिंह-देवलियाके सिसोदिया हरिसिंह जसवतसिंहोतका दोहिता । 5 राजा मानसिंह-साचोरा-चौहान बलू सामतसिंहोतका दोहिता । 6 राजा रूपसिंह-खडेलाके शेखावत हरीराम रायसलोतका दोहिता । 7 राजा भारमल-जैसलमेरके भाटी दयालदास खेतसीप्रोतका दोहितो। 8 राजा किशनसिंह-नरवरगढके कछवाहा आसकरण भीमावतका दोहिता । राजा किशनसिंहका जन्म वि० सं० १६३६की जेठ वदि २को हुआ था। इन्होने अपने नामसे दि० स० १६६६मे किसनगढ नामका नगर बसाया और बादशाह जहागोरसे जागीरी प्राप्त कर अलग राज्य स्थापित किया । राजा किशनसिंह जोधपुरके मोटा राजाके १७ पुत्रोमे से एक थे। इस विगतमे लिखे नामोका क्रम उलटा लिखा हुआ है।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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