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________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात [ २१५ राव मालदेवजीरी मा पदमां देवड़ी । जगमाल लाखावतरी बेटी। राव गागोजीरी मा उदैकवर चहुवांण । राम कँवरावतरी बेटी ।' राव वाघोजोरी मा लिखमादे भटियांणी । जेसै कलिकरणोतरी वहन । (पिछले पृष्ठकी टिप्पणीका शेषाश) इन महाराजाके द्वारा चारणोके गाव जन्त करने पर सवत् १६४३ का प्रसिद्ध धरणा आऊवामे हुआ था। I राव मालदेवकी माता (सिरोहीके राव) जगमाल लाखावतकी पुत्री पद्मा देवडी । इनका जन्म वि० सं० १५६८ पौष वदि १ को हुया था । सवत् १५८८ (विगतमें १५८२) प्रापाढ वदि ५ को सोजतमे गद्दी बैठे और सवत् १६१९की काती सुदि १२को देहान्त हुआ। ___ मालदेवजी बडे ही प्रतापी राजा हुए। इन्होने अपने समीपवर्ती सभी राजाप्रोको जीत करके अपने राज्यको सीमाका खूब विस्तार कर लिया था। ५२ परगनोके ५४ गढ़ और ६००० गाव इनके अधिकारमे थे। इसीलिए इनका विरूद 'नवसहँसा' हुआ और पश्चिमके वादशाह प्रसिद्ध हुए। जैसलमेरके रावल लणकर्णकी कन्या उमादेवी भटियानी उपनाम रूठीरानी इन्हीकी रानी थी। मेडतेका मालकोट और अजमेरका अपूर्ण वोटली किला और अन्य कई किले कोट इन्होने बनवाये थे। इनके २२ पुत्र थे। 2 राव गागेकी माता राम कँवरावतकी पुत्री उदयकुवरि चौहान । इनका जन्म वि० स० १५४० वैसाख सुदि ११, बडे भाई वीरमजीके उत्तराधिकारी होते हुए सरदारोने इन्हें सम्वत १५७२ मिगसर सुदि १२को गद्दी पर बिठाया। सवत १५८८ जेठ सुदि ५को अफीमके नशेमे झरोखेसे गिर कर मर गये। जोधपुरके प्रसिद्ध गंगश्यामजीके मन्दिरकी विष्णु भगवानको मूर्ति राव गागाजी सिरोहीसे लाये थे। गांगाजीने अपने नाम पर 'गग स्वामी' नाम रखा जो बादमे गगश्याम हो गया । उस समय यह मूर्ति किलेमे रखी गई थी। महाराजा विजयसिंहजीने तलहटीके महलोके पास भव्य मन्दिर बनवा कर सं० १८१८में उसमे स्थापित की । गागारी बावडी और गागेलाव तालाब इन्ही महाराजाने बनवाये । इनकी रानी (राणा सागाकी कन्या) पदमावतीने मेवाडके पदमा सेठ द्वारा वनवाये हुए पदमसर तालाबको अधिक वडा बनवाया । 3 राव वाघाजीकी माता भाटी जैसे कलिकोनकी बहिन लखमादे (लक्ष्मीदेवी) भटियानी। _ कुवर वाघा अपने पिता राव सूजाको विद्यमानतामे ५७ वर्षकी श्रायु प्राप्त कर सक्त १५७१को भादी सुदि १४को काल-कवलित हो गये। इनका जन्म वि० स० १५१४को वैशाख वदि ३०को हुआ था।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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