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________________ २१४ ] मुहता नैणसीरी ख्यात महाराजा श्री जसवंतसिंघजीरी मा गायड़ देवी सीसोदणी । भांण सगतावतरी बेटी । ' महाराजा श्री गजसिंघजीरो मा केसरदे कछवाही । रूमीखां करमसोतरी वेटी | 2 महाराजा श्री सूरसिघजीरी मा साहमती कछवाही । आसकरण भीमावतरी बेटी । 3 महाराजा श्री उदैसिंघजीरी मा सरूपदे झाली । स राजावतरी बेटी । " I महाराजा जसवन्तसिंहजी ( प्रथम ) की माता भाग शक्तावतकी पुत्री गाहडदेवा निशोदनी । इनका जन्म वि०स० १६८३ माघ वदि ४ को हुआ था और वि० स० १७३५ को पौष वदि १० को जमरूदमे मृत्यु हुई थी । ये महाराजा वडे वीर थे । औरगजेब भी इनसे सशकित रहता था । ये महाराजा वडे विद्वान और वेदान्ती थे । इन्होंने वेदान्त के अनेक ग्रथ लिखे हैं श्रानन्दविलास, अनुभवप्रकाश, सिद्धान्तसार, अपरोक्ष सिद्धान्त श्रोर सिद्धान्तबोध मुख्य है । भाषा-भूषण आदि अन्य प्रथ भी इनकी विद्वता के उच्चकोटिके ग्रंथ है । हमारे ख्यात लेखक मुहता नैणसी वि०स० १७१४मे इनके दीवान बने थे । श्रागे जाकर महाराजासे इनकी कुछ खटपट हो गई थी । जिम पर महाराजाने नेणसी और इनके भाई सुदरसीको जेलमे डाल दिया और एक लाख रुपये उड कर दिया । इस अपमानसे दोनो भाइयोने स० १७२७ मे श्रापघात कर दिया । नागोरके राव अमरसिंह राठोड इनके बड़े भाई थे । 3 महाराजा गर्जासिंहकी माता रूमीखा करमसोनोतकी पुत्री केशरदेवी कछवाही | इनका जन्म वि० त ० १६५२ कार्तिक सुदि ८ को हुआ था । इनकी वीरता पर बादशाह जहागीरने इन्हें 'दलयभन' का विरुद दिया था । इन्होने कुमारावस्थामे ही जालोरसे विहारीपठानोको भगा कर उस पर अपना अविकार कर लिया था । 3 महाराजा सूरसिंहकी माता आसकरण भीमावतकी पुत्री शाहमती कछवाही । इनका राज्यतिलक सम्वत् १६५२ सावन वदि १२ को लाहोर मे श्रीर इसी वर्ष माघ शु० ५ को फिर जोधपुरमे हुआ । जोधपुरके सूरसागर तालावको इन्होने बनवाया था । मारवाडमे वादशाही ढंग से राज्य प्रबंध इन्होने चालू किया। महकरमे सम्वत् १६७६की माद शु० ६ को इनकी मृत्यु हुई । 4 महाराजा उदयसिंहको माता सभं राजावतकी पुत्री स्वरूपदे झाली मोटा राजा उदयमिहका जन्म सम्वत् १५६४ माघ सुदि १२ को हुआ था । स० १६४०को भादों वदि १२ गद्दी बैठे । सं० १६५२की प्रापाठी पूनमको लाहोर मे मृत्यु हुई । सिवनेिका प्रसिद्ध वीर राठोड क्ल्ला रायमलोत जिनने वादशाही मनसबदारको मार डाला था, बादशाहूपी ग्रोरने ग्रान मरण करदेने श्रीर हार जाने पर इन महाराजाने पोलिया नामक नाई लेगा भेद मोर गुप्त मार्ग मालूम कर क्लिमे प्रवेश कर लिया । कल्ला रायमलोत दही वोरता से लट कर काम ग्राया ।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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