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छत्तीस राजकुली इतरै गढेराज करै १. कनवजगढे राठोड । ८. रोहिरगढे* सोळंकी। २ धार नगर मालव देसै ६. मांडहड़गढे खैर ।' ___पमार ।
१०. चीत्रोडगढे मोरी। ३. नाडूलगढे चहुवांण । ११. मांडलगढे निकुंभ ।' ४. आहाड़ नगरे मोहिल । १२. आसेरगढे टाक। ५. साहिलगढे दहिया। १३. खेड़-पाटण गोहिल ।10 ६. थोहरगढे काबा ।
१४. मडोहर पड़िहार । ७. दुरगगढे सिणवार पांणेचा
१५. अणहलपुर-पाटण
चावोड़ा ।11
बोर ।
I छत्तीस राज्यवश इतने (निम्नाकित) गढ (तथा देशो पर) राज्य करते है। 2 कन्नौजगढ पर। 3 पंवार, परमार । 4 नाडोलगढ पर । (नाडोल मारवाडके गोडवाड प्रान्तका एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक नगर है।) 5 पाहाड नगर पर । (आहाडका प्राचीन नाम आघाट या आघाटपुर है। महाराणा उदयसिंहने इसके समीप ही अपने नाम पर उदयपुर नगर बसाया था। पुरातत्त्व विभाग, राजस्थानकी ओरसे पाहाडमें इस समय खुदाई करवाई जा रही है। इस खनन-कार्यसे राजस्थान और भारतकी प्रस्तर और ताम्रयुगकी सभ्यतापर महत्वपूर्ण प्रकाश पडा है । शोध और खनन अभी चालू है ।) 6 काबा परमारोकी एक शाखा है । 7 खैर, परमारोकी एक शाखा है। 8 चित्तौडगढ पर मौर्य राज्य । 9 माडलगढ पर निकुभ । (निकुभ, दहियोके वडेरे हैं । निकुभ ऋपिसे निकुभ शाखा चली और उनके पौत्र दधीचि ऋषिसे दहियो वश चला। किणसरिया गावके केवायदेवीके मन्दिरके वि० स० १०५६के शिलालेख में दहियोको दधीचि ऋषिका वशज होना बतलाया है ।) 10 खेडपाटण (मारवाड)में गोहिलोका शासन । (राठौड सीहोजी और उनके पुत्र प्रासथानने गोहिलोको मारभगा कर पहले-पहल खेडपाटणमें अपनी राजधानी स्थापित की जिससे राठौडोकी पहली शाखा 'खेड़चा' प्रसिद्ध हुई। इस समय खेडपाटणमे कोई घर नही है । भग्नावशेषोके वीच केवल २-३ टूटे-फूटे मदिर स्थित है । वड़े मदिरकी श्री रणछोडरायकी प्रतिमा डॉ. तैस्सितोरी द्वारा पल्लू (राजस्थान) में प्राप्त की हुई सरस्वतीकी समान प्राकृतिकी दो प्रसिद्ध प्रतिमाअोके समान आकार व समान कलापूर्ण है।) II अहिलपुर-पाटनमें चावड़े। (चावडोको वाट्सन, फास आदिने परमारोकी एक शाखा माना है। नैणसीने परमारोकी ३६ शाखाप्रोके जो नाम दिये हैं उनमे यह नाम नहीं है।) पाठान्तर-*रोहितगढ, रोहिलगढ ।