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मुँहता नैणसीरी ख्यात ॥ छंद बे-अखरी॥
(राठोड़ रामदेवरा कहिया) बागड़िय भोगवी वसाई, नमियर उवहीं' कळ' नह आई। बोळी* वळे मोहिले वरवा, धर रस चूप' इधक सन धरवा ॥१ धजवड़ पाण' लियां खत्र धोड़े, रेहिलिया मोहिल राठोड़। मेवासी राव जोधै मिळिया, दोमज13 भांज मिरी24 सिर दळिया15 ॥२ वहै अजीत जिसा16 वैराई1", वसुधा जोधै राव वसाई। रूक 8 बरछां सिंघार19 राणो, थाप जोधै छापर थांणो ॥३ वोदै वांको दुरग' वसायो , जैत हथो23 राव जोधे-जायो। सीर फेर घांस सत्रां सिर , गढ वीदो तपियो' द्रोणागिर ॥४ केवी वीद घरोघर कीधा' । लीया देस ग्रास डड लीधा 128
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I वागडियोने। 2 पृथ्वी (पाठान्तर-'उरही', 'उरवी')। 3 युद्ध। 4 लौटाई (पाठान्तर-'बोली')। 5. फिर। 6 वरनेके लिये, वरण करनेके लिये। 7 अनुराग, उत्कट इच्छा। 8 अधिक । 9 तलवार। 10 के द्वारा, से। क्षत्रिय । 12 मार लिया, नाश कर दिया। 13 शत्रु (पाठान्तर-'दोयरण')। 14 मीर, मुसलमान (पाठान्तर-'मीर')। 15 नाश किया। 16 जैसे। 17 शत्रु। 18 तलवारोसे। 19 सहार कर दिया। 20 स्थापित किया, स्थापित करके । 21 वका, दुर्जेय। 22 दुर्ग। 23 विजयी, जिसके हाथोसे विजय प्राप्त हो। 24 जोधाका पुत्र । 25 १. युद्ध, २. सेना, ३. आक्रमण। 26 शत्रुओके। 27-28 वीदेने शत्रु प्रोको घर घरका बना दिया (उनको विसंगठित कर दिया।), उनका देश ले लिया और उनसे डड और ग्रास भी लिया।