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________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात [ १४७ हेकै मोटियार घाती। ताहरां सीधळ सारा ही ऊठिया। कह्यो'पा तो कोई भली वात नही ! रांमत पूरी कीवी । इतरै घरेसू आदमी पण आयो कह्यो-'सुपियारदे नीसरी ।' ताहरां गांम मे ढोल हुवो।' सीधळ चढिया । आगै वैहलरा चीला दीठा । ताहरां कह्यो-'नरबद लिये जावै छै ।' प्रागै सुपियारदे वैहल बैठी जावै । वांस वाहर हुई ।' प्राग जावतां लूणी नदी आई, सो नदी पूर । ताहरां नरबदजी कह्यो-'सुपियारदे ! नदी जोर छ, उतर सगां नही। ताहरां सुपियारदे कह्यो-'नदी मे नाखो 110 नदीरै सिर चढो, पण वासलानू पापड़ण न देवो।'11 ताहरां वैहल नदी मे नांखी । वैहलिया सूसाडा मारता पार नीसरिया ।12 ताहरा सींधळां पण घोडा नदी में घातिया । ताहरां भाख धिवती नरबदजी तो घर पाया 114 आसकरण चढियो हुतो-'जु नरबदजी अजू' न अाया।' सु आसकरणजी सौ सीधळां साफळो हुवो।16 वीच मे आसकरणजी नरबदजी सौं पण मिळिया हुता।" ताहरां नरवदजी कह्यो-'पासकरण तू सुपियारदेनू ले जा, अर हू काम प्राईस ।'18 ताहरां आसकरण कह्यो-'आप तो पधारो, हू काम आऊं छू।19 ताहरा आसकरणजी सीधळासू वेढ कर काम आया।20 नरबदजी घरै पाया। सीधळ पण पाछा घिरिया । । श्रीमन् । एक युवकने डाली थी। 2 यह तो कोई अच्छी वात नही हुई । 3 खेल समाप्त किया। 4 इतने मे । 5 तव गावमे ढोल बजवाकर ढिंढोरा पीटा गया। 6 आगे बहलीके चीले देखे । (चीला = ग्थ, गाडी आदिके चलनेसे जमीन पर बनी हुई पहियोकी रेखाए।) 7 पीछे वाहर चढी। 8 अागे जाते हुए लूनी नदीको पहुचे, सो नदी पूर वह रही है। 9 मुपियारदे । नदी पुर-जोर है, पार नहीं हो सकेंगे। 10 सुपियारदेने कहा- वहली नदीमे डाल दो। II नदीके भेंट चढ़ जाय, परतु पीछे वालोको पहचने न दे (उनके हाथ न लगें)। 12 तव वहलीको नदी में डाल दिया, बैल सूसाडा मारते हुए (पुरजोश और पुरजोरसे) पार निकल गये। 13 तब सीवलोने भी नदीमे घोडे डाले । 14 तव प्रभात होनेके समय नरवदजी तो घर आ गये। 15 अभी तक। 16 सो पासकरणजीसे सीधलोकी झपट हो गई। 17 मिले थे। 18 और मैं काम पाऊगा। 19 आप तो पधार जाय, मै काम आ रहा है। 20 लडाई कर काम पाये । 21 सीवल भी वापिस लौट गये ।।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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